गुरुवार, 19 अक्टूबर 2023

यह सनातन क्या है?

सनातन ( Eternal/ Perpetual) का अर्थ  होता है - किसी का आदि और अन्त तक एक ही स्थिरता  (Consistency) और स्थायी (Fixed/ Permanent) निश्चिंतता (Certainty) में होना, यानि उसका एक ही स्थिरता की अवस्था में ही सदैव रहना। यानि किसी का सार्वकालिक यानि नित्य होना, अर्थात उसमें किसी भी प्रकार का बदलाव, यानि परिवर्तन, यानि रुपांतरण का नहीं होना।

स्पष्ट है कि यह सनातन किसी का भी गुण धर्म हो सकता है, परन्तु कोई भी वस्तु, उर्जा, समय, आकाश, संस्कृति, सभ्यता, परम्परा, धर्म, जीवन, अवस्था आदि कभी सनातन नहीं हो सकता है। यह सनातनता किसी पदार्थ का, चाहे वह किसी भी भौतिक अवस्था में हो, या जीवित या मृत हो, एक स्थिर, निश्चित और स्थायी गुण, या स्वभाव, या भावना, या व्यवहार, या लक्षण होना चाहिए, और वही स्थिरता उसका सनातन कहा जाएगा। इस रुप में वह समय विशेष यानि विशिष्ट संदर्भ में सनातन हो सकता है।

लेकिन कोई वस्तु, उर्जा, संस्कृति, सभ्यता, परम्परा, धर्म, जीवन आदि कभी भी सनातन हो ही नहीं सकता, अर्थात कोई भी वस्तु, उर्जा, संस्कृति, सभ्यता, परम्परा, धर्म, जीवन आदि ऐसा नहीं हो सकता है, जिसका कोई आदि और अन्त नहीं हो तथा सदैव एक ही अवस्था में स्थायी और निरंतर रहे। बुद्ध का अनित्यवाद (Non - Eternalism)  भी यही कहता है कि कोई वस्तु या विचार या अवस्था स्थायी और नित्य नहीं हो सकता है। आज़ का क्वांटम भौतिकी भी कहता है कि कोई भी वस्तु तीन विमाओं (Dimensions) की दुनिया में कुछ समय के लिए नित्य हो सकता है, लेकिन 'समय' के अग्रगामी होने से कुछ भी नित्य नहीं रह गया है। जबकि भौतिकी विद्वान मानते हैं कि गणितीय गणनाओं में कोई 12 विमाएं हो सकती है, मतलब किसी भी वस्तु को आधुनिक वैज्ञानिक नित्य यानि सनातन मानने को सहमत नहीं हैं।जब ऐसे ब्रह्माण्ड में कुछ भी नित्य नहीं है, अर्थात कुछ भी स्थिर नहीं है, तो कोई भी वस्तु, उर्जा, संस्कृति, सभ्यता, परम्परा, धर्म, जीवन आदि  भी सनातन नहीं है। इस तरह किसी के "नित्यवाद" (Eternalism) यानि किसी के सनातनता का समर्थन न तो "बिग बैंग" (Big Bang) का सिद्धांत करता है, न तो चार्ल्स डार्विन का "उद्विकासवाद" (Evolutionism) का सिद्धांत करता है, और न तो अल्बर्ट आइंस्टीन का "सापेक्षवाद" (Relativism) का सिद्धांत ही करता है।

परन्तु उस अनित्य का गुणधर्म यानि उसकी विशेषता एक निश्चित स्थिर अवस्था में कुछ समय के लिए सनातन हो सकती है, या होती है, जो उस वस्तु, उर्जा, समय, आकाश, संस्कृति, सभ्यता, परम्परा, धर्म, जीवन आदि के अस्तित्व तक ही बना रह सकता है। इस तरह मानव जाति (Species) का गुण धर्म भी सनातन माना जा सकता है, जो किसी भी मानव के सम्यक विकास के लिए अनिवार्य शर्त होगा, और इसीलिए सभी मानव के लिए एक ही गुण धर्म होगा। स्पष्ट है कि इस तरह सभी मानव का वैश्विक धर्म (Mentality/ Temper), यानि मानव का वैश्विक स्वभाव (Universal Nature), यानि मानव का वैश्विक गुण विशेषण (Characteristics) एक ही होगा। यहां धर्म का अर्थ उसका दायित्व, कर्तव्य, स्वभाव, गुण, लक्षण है।

इस तरह यह धर्म भी प्रचलित सम्प्रदाय से, यानि तथाकथित प्रचारित धर्म से अलग हो गया। इसे इस तरह समझा जाय। किसी पति, या पत्नी, या पिता, या माता, या किसी शासक, या किसी प्रजा या नागरिक का धर्म क्या होगा, या होना चाहिए? अर्थात उसका अपने संबंधित और संदर्भित के प्रति क्या कर्तव्य और दायित्व होना चाहिए, वही उसका धर्म है। स्पष्ट है कि यह धर्म किसी भी प्रचलित प्रसारित धर्म से अलग है। दरअसल हमलोग सम्प्रदाय को ही धर्म समझकर भ्रमित हैं।

किसी भी धातु (Metal) का धर्म क्या हो सकता है, विद्युत और उष्मा का संचरण अपने माध्यम से होने देना। पानी का धर्म क्या हो सकता है, खुली अवस्था में बह जाना और किसी पात्र (बरतन) में रखे जाने पर उसका आकार (Shape) को ग्रहण कर लेना, यानि पानी का धर्म है।

गुस्सा होने का धर्म यानि स्वभाव या लक्षण है कि उसके आने पर वह मानव को विचलित कर देता है, उसके ख़ून का संचरण बढ़ा देता है, उसका रक्त दाब बढ़ जाता है। इस तरह इस धर्म का किसी सम्प्रदाय से कोई लेना देना नहीं है।

इसलिए सभी को यह स्पष्ट रहे कि कोई भी वस्तु, उर्जा, समय, आकाश, संस्कृति, सभ्यता, परम्परा, धर्म, जीवन, अवस्था आदि कभी नित्य या सनातन नहीं हो सकता है। ऐसा ही आधुनिक भौतिकी विद्वान भी मानते हैं। वैसे आप कुछ भी मानने को स्वतंत्र है, मैंने सिर्फ अकादमिक पृष्ठभूमि को रेखांकित करना चाहा है। बाकी संबंधों, संदर्भों और पृष्टभूमियों को आप स्वयं विश्लेषण, मूल्यांकन और निष्कर्ष निकाल सकते हैं।

आचार्य प्रवर निरजंन जी
  स्वैच्छिक सेवानिवृत्त
राज्य कर संयुक्त आयुक्त, बिहार,पटना।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया विश्लेषण और तर्कपूर्ण जानकारी सर। ताउम्र हजारों किताबें पढने के बावयुद ये concept नहीं मिलता जो आपकी लेखनी कुछ शब्दों में उड़ेल देती है सर। आप की intellectual crystal clarity ko अभिवादन सर।
    ऐसे इंजीनियर द्वारा होलिस्टिक धार्मिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक विश्लेषण अद्भुत सर। Keep it up.

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