पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन (भाग - 5)
एक
पुरोहित को परम्परागत रूप से सर्वज्ञाता, संस्कारी, शिक्षित आदि होने के साथ साथ कल्याणकारी जाता है, और सभी जगह उपलब्ध होने वाला
माना जाता है। वह
‘सामाजिक
संस्थाओं का निर्माता एवं संशोधक’ के अतिरिक्त सभी ‘सामाजिक
समस्याओं का समाधान-विशेषज्ञ’ भी माना जाता हैं। और इसीलिए ये पुरोहित बहुत ही महत्वपूर्ण
भूमिका में होते हैं।
सामाजिक व्यवस्था के सुचारू संचालन और सामाजिक समृद्धि के लिए सुविचारित नियमों, मूल्यों और प्रतिमानों के संयुक्त समष्टि को संस्कार कहते हैं, और इसे स्थापित एवं नियमित करने वाले को संस्कारक कहते हैं। एक पुरोहित को इसकी भी भूमिका निभानी पडती है।
एक पुरोहित सामाजिक सूचनाओं सहित सभी सूचनाओं का ‘प्रसार तंत्र’ (Broadcasting System of Information) यानि सभी ‘सूचनाओं के विसरण की व्यवस्था’ (Diffusion Setup of Information) में बहुत ही प्रभावी भूमिका में होता है। वह ‘सूचनाओं के परिणाम को शुभ एवं अशुभ की श्रेणी में’ डाल कर अपने श्रोताओं को प्रभावित कर नियंत्रित भी करता है| इसीलिए विश्व के सबसे प्रसिद्ध मार्केटिन गुरु फिलिप कोटलर कहते हैं कि यह समय सूचनाओं का नहीं है, अपितु सूचनाओं के प्रसार का है| इस पर ठहर कर ध्यान दें|
उसे ‘भविष्य
के परिणाम की भी गणनाओं’ को
करने का विशेषज्ञ माना जाता है, और उस ‘भविष्य’ मे तथाकथित सुधार या संशोधन करने
वाला भी माना जाता है|
जब
आप इसमें शिक्षित एवं प्रशिक्षित होंगे, तब आप इसे बेहतर ढंग से समझेंगे, और सही
गलत के सही समझ के साथ स्वयं के साथ साथ अपने समाज को भी लाभान्वित करेंगे|
इसीलिए
‘सामाजिक बदलाव के सभी इच्छुकों को चाहिए कि
ऐसे
लोग इस “सामाजिक
बदलाव के इस सूचना प्रसार तंत्र” का हिस्सा बनें और इस तंत्र पर अपना नियंत्रण भी करें।
इसी
उद्देश्य के लिए हमको और आपको भी पुरोहित और संस्कारक बनना है, और आगे आना है।
पुरोहित प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु संपर्क सूत्र :
1. अशोक कुमार जी
+91 98734 98047
2. राहुल पटेल जी
+91 86101 36135
(उपर्युक्त मोबाइल नंबर पर भारत में रहने वाले ‘भारतीय मानक समय’ (IST) के अनुरूप ही संवाद करें, एवं भारत से बाहर रहने वाले भारतीय अपना लिखित संवाद भेज कर संपर्क कर सकते
हैं|
)
विचार
कीजिए।_
आचार्य
प्रवर निरंजन
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