पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन भाग - 4
कुछ
तथाकथित बौद्धिक जन ‘पुरोहित’ शब्द को किसी एक ही पंथ या परम्परा से ही जोड़ कर
देखते हैं, यानि अपने पूर्वाग्रह से ही देखते हैं और इसी आधार पर इसकी खूब आलोचना करते हैं| ये तथाकथित बौद्धिक इनके पद एवं इनके द्वारा
अपनायी जाने वाले विधियों में अंतर नहीं करते है, और इन दोनों – पद एवं विधि - को
एक समझने की नादानी करते हैं| यही नासमझी ही इनकी नादानी का आधार होता है|
पारम्परिक
पुरोहितों के द्वारा अपनायी जाने वाली विधियों को गलत होना हो सकता है, क्योंकि अब
ये पारम्परिक पुरोहित अशिक्षित, अज्ञानी, अकुशल, असावधान, लोभी, पाखंडी, कामी और
संस्कारविहीन होते हैं| ऐसे ही पारम्परिक पुरोहितों
को ही इस आन्दोलन के द्वारा प्रतिस्थापित होना है| इस आन्दोलन के प्रशिक्षित पुरोहित ‘प्रमाणिक
प्रमाण पत्र’ के साथ होंगे| ये पुरोहित हमारी संस्कृति के
ध्वजवाहक होते हैं|
भारत
में विभिन्न बौद्धिक स्तर के व्यक्ति, परिवार, समुदाय एवं समाज रहते हैं, और
इसीलिए उनकी जिज्ञासाओं की संतुष्टि के स्तर भी भिन्न भिन्न होते हैं| सभी व्यक्तियों
का बौद्धिक स्तर ऐसा नहीं होता है कि सभी पूर्णतया तार्किकता और वैज्ञानिकता को
संतुष्टि के स्तर तक समझ पाते हैं| ध्यान रहे कि मशीनें तो तथ्य और कार्य कारण से चलती है, लेकिन सामान्य मानव इन
तथ्यों एवं तर्कों के अतिरिक्त अपनी भावनाओं, परम्पराओं, संस्कृति,
इतिहास और मिथकों से भी संतुष्ट होते हैं, संतुलित होते हैं।
एक
सामान्य आदमी को तथ्य, कार्य कारण (तर्क) और विश्लेषण मूल्यांकन करना ज्यादा कठिनतर, जटिलतम, और असहज लगता है। लेकिन एक पुरोहित एक कथावाचक के रुप में अपने मिथकीय शब्दों, गाथाओं, और भावों से इस जीवन में और इसके पार भी सकून दिलाता है। ऐसा संवेदनशील व्यक्ति सामान्य जनों के दिल पर राज करता है| पहले
सेल्समैन बिकता है, फिर सेल्समैन का सामान भी बिक जाता है| पुरोहित भी ऐसा ही सेल्समैन
होता है, जो वह चाहे, अपने यजमानों को बेच सकता है| हमारे प्रशिक्षित पुरोहित उसे उच्चस्तरीय एवं
गुणवत्तापूर्ण उत्पाद यानि सेवा ही प्रदान करेगा| और समाज एवं देश का कल्याण करेगा और इस तरह एक कथावाचक
पुरोहित प्रभावशाली, सम्मानित और प्रतिष्ठित होता है।
ध्यान रहे कि प्रतिष्ठा स्वयं बनानी पड़ती है, जबकि सम्मान दूसरे लोग उन्हें देते हैं और यह दोनों ही बहुत सहजता से एवं बड़ी सरलता से एक पुरोहित को प्राप्त होता है।
अब
आप भी अपने अपने समाज में पुरोहित और कथावाचक बनिए।
आपको
प्रतिष्ठा और सम्मान भी मिलेगा|
अब
हमको और आपको ही आगे आना है।
विचार
कीजिए।
आचार्य
प्रवर निरंजन
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