बुधवार, 11 दिसंबर 2024

पुरोहित कौन होता है और क्यों?

पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन  भाग -3


‘पुर’ का 'हित' करने देखने वाला ही ‘पुरोहित’ होता है।पुर’ किसी बसी हुई आबादी, यानि स्थायी आबादी, यानि किसी बसावट को कहते हैं, और इसीलिए बहुत से नगरों एवं गाँवों के नाम के साथ ‘पुर’ लगता है| ऐसे कई उदहारण भारतीय उपमहाद्वीप में मिल जाएंगे| इस तरह पुरोहित समस्त सभ्यताओं का संरक्षक होता है| और सभ्यता वही होता है, जहाँ समाज सभ्य यानि सुसंस्कृत होता है|

विशाल एवं विकसित समाज को व्यवस्थित एवं संगठित होने के साथ ही सभ्य भी होना होता है| यह विकास, वृद्धि और समृद्धि के लिए अनिवार्य है| और यही विकास, वृद्धि और समृद्धि के लिए भूमिका पुरोहित की होती है|

इस तरह समाज में पुरोहित महत्वपूर्ण होता है।

यह पुरोहित ही

समाज की इकाइयों यानि विवाह, परिवार

जैसे ‘सामाजिक संस्थाओं’ (Social Institution) के निर्माण एवं बदलाव, यानि

नए सदस्यों के आगमन एवं सदस्यों के गुजर जाने से

बने नए सामाजिक संस्थाओं की

‘सामाजिक औपचारिक घोषणा’ (Social Formal Declaration) करता है|

यही समाज में आवश्यक संस्कार बनाए रखने वाले की भी भूमिका निभाता है| यह समाज में मूल्यों (Values) एवं प्रतिमानों (Norms) यानि संस्कारों की निरन्तरता एवं संवर्धन बनाने वाले संस्कारक होते हैं। 

हम सभी भारतीय तथाकथित अपने अपने समाज में पुरोहित और संस्कारक बनें,

ताकि उन समाजों की महान विरासत को शुद्धता एवं पवित्रता के साथ ही निरन्तरता बनाए रखा जा सके, और यह सम्मानजनक ढंग से संवर्धित भी होता रहे।

अब समाज में पहले वाले शिक्षित संस्कारित गरिमामयी पुरोहित नहीं रहे। सभी खानदानी शिक्षित सम्मानित और संस्कारित पुरोहित नौकरी और अन्य व्यवसायों में चले गए। 

इसी समझ एवं संस्कार के अभाव में

आज हमारा भारतीय सदस्य, परिवार एवं समाज तनावग्रस्त है, संकटग्रस्त है|

इसे गंभीरता से समझिए|

इसीलिए अब हमको और आपको ही आगे आना है।

विचार कीजिए। 

आचार्य प्रवर निरंजन

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

The Mistakes in the Upbringing of Children

Upbringing is the way parents guide and treat their children to help them understand the changing world and eventually lead it. It is the p...