बुधवार, 11 दिसंबर 2024

पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन क्यों?

पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन  भाग -2 

हमारी महान भारतीय सांस्कृतिक विरासत की परम्परा की निरन्तरता एवं संवर्धन को

हमें सम्मानपूर्वक आगे ले जाना है, एवं उस महान विरासत को समृद्ध भी करना

हम सभी भारतीय समुदायों की नैतिक उत्तरदायित्व है।

हमारी भारतीय संस्कृति एक व्यापक, विशाल, गौरवमयी एवं ऐतिहासिक सनातन परम्परा रही है, जिसमे कई ऐतिहासिक एवं कई आधुनिक पंथ एवं परम्परा भी समाहित है, और यह नित संवर्धित भी होती जा रही है|

इसमें कई धार्मिक, सांप्रदायिक, पंथ, प्रजातीय, भाषाई समुदाय शामिल हैं| हमें सभी का ध्यान रखना है|

भारत में आजकल “परम्परागत विद्वानों एवं संस्कारित पुरोहितों और संस्कारको की कमी” हो गयी है, जो सर्वत्र दिखती है| ‘परम्परागत विद्वानों एवं संस्कारित पुरोहितों और संस्कारको के वंशज’ अपनी उच्चतर शिक्षा एवं उपलब्ध वैश्विक अवसरों में अपनी अग्रणी भूमिका निभाने के क्रम में परम्परागत कार्यों से विमुख हो गए हैं|

ऐसी संकटमयी स्थिति में इस महान भारतीय विरासत को आगे ले जाने की जबावदेही हम सजग एवं सतर्क भारतीयों का है| इसका विकल्प हमें ही उपलब्ध कराना है| 

यह हमारे सांस्कृतिक गौरव की निरन्तरता और संवर्धन में हमलोगों का संक्षिप्त योगदान होगा। 

“पुरोहितों और संस्कारको के लोकतंत्रीकरण की प्रक्रिया” में आप भी शामिल हों।

इसके लिए ‘पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन से जुडिए’ और 

भारत को फिर से शिखर पर ले जाइए। 

कृपया विचारार्थ। 

आचार्य प्रवर निरंजन

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