पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन (भाग -1)
हम भारतीय
लोगों ने भारतीय सांस्कृतिक विरासत की परम्परा की गुणवत्तापूर्ण निरंतरता के लिए “पुरोहित प्रशिक्षण एवं
शोध मिशन” आन्दोलन शुरु किया है, और अब यह आन्दोलन संस्थागत स्वरुप में
जमीनी कार्य प्रारंभ कर चुका है|
मुझे लगता
है कि “पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन” के विभिन्न पक्षों को लोगों के सामने
‘छोटे छोटे’ आलेखों में लाया जाए। इसका उद्देश्य -वाक्य ‘हमारी संस्कृति हमारी
विरासत’ है| तय है कि हमारी भारतीय संस्कृति हम भारतीयों की गरिमामयी विरासत है| हमलोग ही इस विरासत
के ध्वजवाहक हैं| महान एवं गौरवमयी सांस्कृतिक विरासत की संरक्षा एवं निरन्तरता
हमलोगों का सामूहिक उत्तरदायित्व है| इसके विविध पक्षों को सम्यक तरीके से जानने
समझने के लिए ही यह सीरीज शुरू किया गया है।
यह एक
गम्भीर प्रश्न है कि
हम
अपनी महान एवं गौरवमयी सांस्कृतिक विरासत को
निम्न
शिक्षित, अज्ञानी, अकुशल, प्रशिक्षण विहीन, संस्कार विहीन, असावधान, कुतर्की,
लोभी, कामी और निम्न या निकृष्ट मानसिकता के व्यक्ति के हाथों में कैसे छोड़
सकते हैं?
हमलोग
शिक्षित हैं, हमारे बच्चे शिक्षित हैं, हमारा समाज संस्कारित रहा है, तो हम क्यों
नहीं अपने लिए उच्चतर शिक्षित, ज्ञानवान, संस्कारित, विचारवान, तर्कशील,
सजग एवं अपने समाज के प्रति संवेदनशील पुरोहित- संस्कारक क्यों नहीं लाएं?
इसके लिए
हमें
युवा साथियों को, और अपने अपने समाज में से ही सेवा निवृत्त साथियों को प्रशिक्षित
करना है| इसके अतिरिक्त पहले से ही कार्यरत पुरोहितों एवं
संस्कारकों विधिवत प्रशिक्षण देकर उपयुक्त बनाना है| इस प्रशिक्षण के
बाद उन्हें समुचित प्रमाण पत्र भी मिलेगा| यह प्रशिक्षण सभी पन्थो, सम्प्रदायों एवं विधियों के लिए है|
इसीलिए
पुरोहित एवं संस्कारक अवश्य बने, और अपने समाज को उच्चतर संस्कार देकर स्वयं
भी सम्मानित हों, समाज को भी लाभान्वित करें और अपनी सांस्कृतिक विरासत को
समृद्ध भी करें एवं निरंतरता भी दे।
पुरोहित प्रशिक्षण
प्राप्त करने हेतु संपर्क सूत्र :
1. अशोक
कुमार जी
+91
98734 98047
2. राहुल
पटेल जी
+91
86101 36135
(उपर्युक्त
मोबाइल नंबर पर भारत में रहने वाले ‘भारतीय मानक समय’ (IST) के अनुरूप ही संवाद
करें, एवं भारत से बाहर रहने वाले भारतीय अपना लिखित संवाद भेज कर संपर्क कर सकते
हैं| )
विचार
कीजिए और कदम आगे बढाइए।
और भारत
को फिर से गरिमामयी बनाएँ|
आचार्य
प्रवर निरंजन
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