शनिवार, 29 जून 2024

आपका सबसे शक्तिशाली धर्म

 प्यारे युवा दोस्तों,

भारत की प्राचीनतम भाषा में कहा गया है - "धारेती ति धम्मों"  अर्थात 'जो धारण करने योग्य हैवहीं धर्म है' तो आज की दुनिया में धारण करने योग्य धर्म क्या है, अर्थात आज़ का सबसे उत्तमसबसे प्रभावशालीसबसे शक्तिशाली और सबसे महत्वपूर्ण धर्म क्या है?

 ..... आप भी इस पर सोचिए  ......

जरा रुकिए! आज़ के सामाजिकसांस्कृतिकआर्थिकशैक्षणिक और राजनीतिक जीवन में आपको कौन नियमितनियंत्रित और संचालित कर रहा हैआज़ लगभग सभी राष्ट्रों के कार्यपालिका प्रधान भी अपने अपने राष्ट्रों में मैनेजर मात्र रह गए हैं। आज़ वैश्विक वित्तीय शक्तियां जो चाहती हैंजैसा चाहती हैंसभी वैश्विक संगठन और सभी राष्ट्र उसी के अनुरूप कार्य कर रहे हैं। 

पहले आवश्यकता के अनुसार उत्पादन किया जाता रहालेकिन अब उत्पादन करने के लिए आवश्यकताओं को पैदा किया जा रहा है। इसे  समझिए। अब ऐसी आवश्यकताएं मानवता के नाम परप्रकृति संरक्षण के नाम पर और भविष्य में सस्टेनेबिलिटी के नाम पर उत्पन्न किए जाते हैं। मैं अभी इसका विश्लेषण भी नहीं करुंगा। और जब आवश्यकताएं महसूस होगीतो इसके लिए उत्पादन होगा ही और फिर बाजार की क्रियाविधि तेज हो जाएगी।

पहले परिवार और समुदाय सबसे प्रभावशाली संस्था होता था और व्यक्ति एवं राज्य कमजोर होता था। लेकिन अब परिवार एवं समुदाय अपेक्षाकृत कमजोर हो गया है और व्यक्ति एवं राज्य ज्यादा मजबूत हो गया है। वर्तमान युग में बाजार सभी कोचाहे आप व्यक्ति हैंपरिवार हैंसमुदाय हैं या राष्ट्र ही हैंअपना उपभोक्ता ही समझता है और उसी अनुरूप उससे संबंध भी बनाता हैउसे  नियंत्रित भी करता है और संचालित भी करता है।

तो आज सबसे प्रभावशालीसबसे शक्तिशालीऔर सबसे महत्वपूर्ण कारक “वित्तीय शक्तियां” ही हो गई है। जब आप अपनी बुद्धि कोअपने ज्ञान कोअपने कौशल को और अपनी सम्पत्ति को उत्पादक पूंजी बना देते हैंतो आप सफल हो जाते हैं। वैसे ‘पूंजी’ ‘उत्पादक सम्पत्ति’ को ही कहा जाता है। 

अतः आपका वित्तीय शक्ति बनना ही आपका सर्वोत्तमसर्वश्रेष्ठ और सर्वोच्च धर्म होना चाहिए।

बाकी आपकी और समाज की सभी विशेषताएं आपके आगे पीछे रहेगा।

ऐसे सभी सफल समुदायों को देखिएसमझिए और इसका अनुकरण भी कीजिए। लेकिन इन समुदायों का विश्लेषण कभी भी धर्मजातिभाषाक्षेत्र और राजनीतिक चश्मे से नहीं कीजिए। कुछ तथाकथित धर्मजातिभाषाक्षेत्र और राजनीति के ठेकेदारों की मंशा भी नहीं समझनी है। इसे समझने में अपना समयधनसंसाधनउत्साहजवानी और वैचारिकी को भी नहीं लगाना हैयह सब उनके फेर में बर्बाद हो जाएगा।

इसे स्थिरता से समझिए। आप ठहरिए। जो ठहरता हैवही गहराइयों में भी उतर सकता है। जो जीवन की आवश्यकताओं के पीछे मात्र दौड़ लगाता रहता हैवह वैश्विक प्लेटफार्मों पर मात्र फिसलता रहता है।

आप तो समझदार है। 

आप आर्थिक शक्ति बनने का अभी से निर्णय कर लीजिए।

आप आगे बढ़िएऔर लोग आपसे जुड़ते जाएंगेऔर कारवां बनता जाएगा।

अब आपको यही सोचना हैयही बोलना हैयही सुनना हैयही देखना हैआपके सपनों में भी यही सब आना चाहिए। आपको इसी वैचारिकी में रहना है।

क्वांटम भौतिकी के प्रेक्षक सिद्धांत भी यही कहता है कि यही सब भौतिकता में बदल जाता है।

तब सारे धर्मजातिभाषाक्षेत्र और देश आपके साथ होंगे। आप आज ही दुनिया के सबसे शक्तिशाली धर्म – “वित्तीय धर्म” को अपनाइए।

आचार्य निरंजन सिन्हा 

भारतीय संस्कृति का ध्वजवाहक 

(इस आलेख को और व्यवस्थित तरीके से पढ़ने के लिए और अन्य आलेख पढ़ने के लिए निम्न लिंक पर भी अवलोकन किया जा सकता है)

 

1 टिप्पणी:

  1. बौद्धिक संपत्ति को उत्पादन में बदलकर आर्थिक मजबूती में रूपांतरित करने पर हम वैश्विक शक्ति बन सकते है।

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