!!प्यारे युवा दोस्तों!!
तुम क्यों पडे हो धर्म, जाति, और राज नेताओं की घटिया राजनिति में? युवाओं का तो बस एक ही
धर्म होता है - सफलता। चाहे तुमनें नौकरी का या उद्यमिता का लक्ष्य
निश्चित किया हो।
,.......
बस इसी "सफलता-धर्म" को पूरा करने के लिए अपने
विचारों और कर्मो के सागर में डूबे रहो। बाकी सब उनका कारोबार है,.....धन्धा है......, सियासत है..... मुखौटों
का खेल है... ।।
ध्यान रखो - "
अगर तुम्हे सफलता नही मिली, चाहे वह तुम्हारी नौकरी हो
या तुम्हारी उद्यामिता हो, फिर तो तुम न हिंदू रहोगे, न मुस्लिम, न सिख, न ईसाई और न ही कुछ और भी -
- - - - - और न ही किसी राजनीतिक दल का कोई पदधारी रहोगे....
गरीबों, भूखे और बेरोजगारों का कोई धर्म नही होता, तब तुम्हारी जाति में भी
कोई सम्मान नही होता, और राजनीति में भी सिर्फ तुम्हारी हैसियत ही झंडा उठाने तथा दरी
बिछाने वाले की ही होती है।
तब तुम सिर्फ धर्म, जाति, और राजनीतिक दलों के
ठेकेदारों का खिलौना होते हो।
"वह मस्जिद की सेवई भी खाता
है, मंदिरों का लड्डू भी खाता है। और वह
प्रतिनिधित्व करने का भूखा है, बेचैन है, बाबू। ऐसे बहुतो ठीकेदारों के बच्चे तो विदेशों में रहते, और पढते है। उन्हें कहाँ चिन्ता है, भारतीय संस्कृति की विरासत
की गरिमा और निरन्तरता की?
उसे मजहब, जाति और प्रतिष्ठा कहाँ समझ में आता है? उसे तो अपने राजनीतिक दलों
के धर्म (सिद्धांत) भी समझ में नहीं आता है, और इसीलिए वे अपनी इच्छा अनुसार इसे कभी भी बदल
लेता है।
इसलिए सबसे पहले तुम अपना करियर बचाओ..........कैरियर बना लो। जब कुछ देने वाले बनोगे, तभी तुम्हे पद भी मिलेगा, प्रतिष्ठा भी मिलेगा, धन भी मिलेगा और तुम्हें
सभी लोग पूछेंगे।
इसिलिए देने में समर्थ
बनो।
और देने के लिए आर्थिक रूप से
समर्थ बनो।
याद रखना,
तुम्हारा आर्थिक
सशक्तिकरण ही तुम्हारी पूछ बढाएगा।
........... बाकी सब गुलामी है,...... बंधन है,.......... बेडियाँ है,........Slavery है, .... इनसे तुम्हे आजाद होना
है।
तुम्हे बहुत आगे जाना है............ बहुत आगे।।
जमीन से अन्तरिक्ष की उंचाईयों तक जाना है।.......... तुम्हें अपने
परिवार, समाज, मानवता और राष्ट्र का नाम
रोशन करना है।
!!जरा ठहरकर सोचना।।
आचार्य निरंजन सिन्हा
भारतीय संस्कृति का ध्वजवाहक
Right sir,,V much thank u Sir. Topic is v imp.
जवाब देंहटाएंवर्तमान के संदर्भ में एक उत्प्रेरक लेख! मोबाईल और सोशल मीडिया में उलझी युवा पीढ़ी को संबोधित इस लेख में एक सही दिशा दिखाने की कोशिश की गई है। देश के भविष्य के लिए चिंतित लोगों की तरफ़ से बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएं