पुरोहित प्रशिक्षण
& शोध मिशन (भाग - 9)
आप
अपनी और अपने परिवार,
समाज, राष्ट्र एवं मानवता की
समृद्धि चाहते हैं,
उन्नति चाहते हैं,
विकास चाहते हैं,
सम्मान चाहते हैं,
तो
यह सब सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक,
शैक्षणिक, और सांस्कृतिक बदलाव के रास्ते से
होकर ही आता है।
और यह
सब ‘पुरोहिताई” से प्राप्त होता है।
‘सांस्कृतिक साम्राज्यवाद’
(Cultural Imperialism) क्या है?
यह
संस्कृति आधारित साम्राज्यवाद है| आपका
वर्तमान धर्म, सम्प्रदाय एवं पंथ भी इस ‘सांस्कृतिक साम्राज्यवाद’ का एक स्पष्ट
उदाहरण
है| ‘अंग्रेजियत’ भी इस ‘सांस्कृतिक
साम्राज्यवाद’ का एक स्पष्ट नमूना है|
ध्यान
रहे कि
तत्कालीन
मुद्दे आवश्यक एवं अनिवार्य हो सकते हैं,
और इस पर आधारित “राजनीति
सालों और दशकों की” हो
सकती है, अभी सान्दर्भिक हो सकती है|
लेकिन अभी यह बात संदर्भिक नहीं
भी लगती हो, और उपयुक्त भी नहीं लगती हो, परन्तु “संस्कृति पर आधारित राजनीति सदियों और
सहस्त्रब्दियों की होती है। इस
बात पर ठहर कर विचार किया जाए|
और इसकी शुरुआत “पुरोहिताई” से ही संभव है।
इसे
समझिए। और सांस्कृतिक बदलाव कीजिए।
स्पष्ट
शब्दों में, इसके लिए इस
राष्ट्रीय प्लेटफार्म और संगठन से जुडिए।
ऐसा
विकल्प "पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन" उपलब्ध कराएगा।
आप
अपने पसन्द की और अपने स्वेच्छा से पंथ, धर्म, सम्प्रदाय का चुनाव कर सकते हैं।
अब
हमको और आपको ही आगे आना है।
विचार
कीजिए।
आचार्य
प्रवर निरंजन
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