पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन (भाग - 10)
यदि हमलोग अपनी और अपने परिवार, समाज, एवं राष्ट्र की समृद्धि (Prosperity) चाहते हैं,
तो
हमारे लोगो की पहुंच में ऐसे ही संबंधित 'सूचनाओं, विचारों, विधियों और ज्ञान का प्रवाह’
चाहिए। और इसके लिए' हमारे ही लोग होने चाहिए। मैंने इस सीरिज में पहले ही ‘सूचना तंत्र’ के महत्व और इसकी क्रियाविधि के
बारे में बता चुके हैं| एक पुरोहित समाज में सर्व स्वीकार्य होते हैं| इसीलिए इन्हीं के माध्यम
हमें अपने समाज में सभी आवश्यक 'सूचनाओं, विचारों, विधियों और ज्ञान का प्रवाह’ करना
चाहिए|
इसे
ही सूचना, विचार और
ज्ञान का 'मार्केटिंग प्रबंधन' (Marketing Management) कहते हैं। विश्व प्रसिद्ध 'मार्केटिंग प्रबंधन' के गुरु फिलिप
कोटलर (केलौग स्कूल आफ मैनेजमेंट,
संयुक्त राज्य अमेरिका) कहते हैं कि
यह युग 'सूचनाओं ' का नहीं है,
अपितु सूचनाओं के प्रसार का युग (Age of Information Expansion) है।
और
एक एक पुरोहित अपने अपने समाज और प्रभाव क्षेत्र में
सूचनाओं के प्रसार का सबसे सक्रिय तंत्र ( The Most Active System)
एवं
प्रभावशाली व्यवस्था होता है।
इस
तरह
हम आप "सामाजिक सांस्कृतिक बदलाव" के
'सूचना तंत्र' (Information System) पर प्रभावी
नियंत्रण कर पाते हैं।
और इसकी शुरुआत पुरोहिताई से ही संभव है।
इस
पर ठहर कर ध्यान दें।
इसे
समझिए। और शुरुआत कीजिए।
स्पष्ट
शब्दों में, इसके लिए इस
राष्ट्रीय प्लेटफार्म और संगठन से जुडिए।
ऐसा
व्यवस्था ‘पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन’ उपलब्ध कराएगा।
इसी उद्देश्य के लिए हमको और आपको भी पुरोहित और संस्कारक बनना है, और आगे आना है।
आइए,
अपने समाज में समृद्धि की शुरुआत कीजिए|
आचार्य
प्रवर निरंजन
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