पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन (भाग - 13)
एक
*प्रचारक* ,
एक
*नेता* ,
एक
*अध्यापक* और
एक
*पुरोहित - संस्कारक* में
सबसे
प्रभावशाली संवाद करने वाला कौन हो
सकता है? यह सबसे अहम
सवाल है, जिस पर आप भी ठहर कर विचार कीजिए।
सबसे प्रभावशाली वक्ता यानि सबसे प्रभावशाली *सूचना केन्द्र* वह होता है, जिसके प्रति लोगों का परम्परागत
1. विश्वास होता है,
2. सम्मान होता है,
3. श्रद्धा होता है
4. परम्परा होता है,
5. ज्ञान होता है,
6. वेशभूषा होता है,
7. संरचना होता है, और
7. जिसकी सामाजिक स्वीकार्यता होती है।
और *उपरोक्त सब एक पुरोहित
संस्कारक में होता है, दिखता है, समझा जाता है और माना जाता है।*
*ऐसे लोगों के हर शब्द और वाक्य "अति
ग्राह्य " (Super Admissible) होता
है।*
यही गतिमान संस्कृति की
1. दृढ़ता होती है,
2. विशेषता होती है,
3. भिन्नता होती है
4. आवश्यकता होती है, और
5. निश्चितता होता है।
ऐसे लक्षण और विशेषता किसी दूसरे वक्ताओं में नहीं होता है,
सिर्फ पुरोहित में होता है।
इसीलिए
समाज से बेहतर संवाद का जरिया पुरोहित और संस्कारक ही बन सकता है।
इसे
समझिए। और अभी शुरुआत कीजिए।
इसीलिए
हमें इसके बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए।
आचार्य
प्रवर निरंजन
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