आधुनिक भौतिकी पर आलेख
भौतिकी के नए विमायें
(New Dimensions in Physics)
महान
वैज्ञानिक स्टीफन्स हाकिन्स ने अपनी
प्रसिद्ध पुस्तक “ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ़ टाइम”
के अंतिम पृष्ठ के अंत में सामान्य जनों का आह्वान किया था कि नवाचार (Innovations) कहीं से भी आ सकता है और सभी
इसमे योगदान करें| एक दुसरे महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने जब अपनी
सापेक्षता का सिद्धांत दिया था, उस समय ये एक भौतिकविद नहीं थे बल्कि ये पेटेंट
कार्यालय के किरानी थे| सापेक्षता का सिद्धांत परंपरागत विज्ञान का आधार बदल दिया और
इसी कारण ये विश्व प्रसिद्ध हुए| बाद में उन्हें “फोटो
इलेक्ट्रिक प्रभाव” (Photo
Electric Effect) की व्याख्या
करने के लिए नोबल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया|
परम्परागत
विज्ञान में किसी भी वस्तु (Object) की
आकाश (Space) अवस्थिति
जानने के लिए तीन विमाए (आयाम) (Three
Dimensions)
पर्याप्त था| इन्हें लम्बाई (Length), चौड़ाई (Width), गहराई (Depth, ऊँचाई -Height) कहा जाता है और इन्हें क्रमश: X-axis, Y-axis, एवं Z-axis से भी
प्रतिनिधित्व किया जाता है| इन्हें निर्देशांक ज्यामिति या वैश्लेषिक ज्यामिति (Analytic
Geometry या Coordinate Geometry) भी कहा
जाता है और इसमे इसका विस्तृत अध्ययन किया जाता है| परम्परागत विज्ञान में किसी भी किसी भी परम्परागत वस्तु की
अवस्थिति को जानने के लिए इतना ही काफी था| पर अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के
सिद्धांत के साथ चौथा विमा समय (Fourth Dimension TIME)
को बताया जो आधुनिक विज्ञान को समझने का एक महत्वपूर्ण अवधारणा (Concept) और उपकरण
(Tool) साबित हुआ| गणीतिय संगणनाओं के
अनुसार सैद्धांतिक रूप में कुल 12 विमाए (कुछ के अनुसार 10 विमाए) होने
चाहिए|
मैं
भौतिकीविद नहीं हूँ पर मेरे अनुसार इस चौथे विमा के बाद आगे जो भी विमाओं के दावे
किए जा रहें हैं; उनसे मुझको सहमत होने में कठिनाई है| मुझे नहीं पता कि विश्व के
आधुनिक विज्ञान और क्वांटम विज्ञान के वैज्ञानिकों की इस सम्बन्ध क्या धारणा है?
इस सम्बन्ध में मेरी भी कुछ मान्यताएं है जो विज्ञान के नजदीक है, तार्किक है और
सहज ग्राह्य भी है| यह विज्ञान के कई नए आयामों को खोलेगा|
गुरुत्व
(Gravity) प्रकृति के चार मौलिक बल या अंतर्क्रिया (Four
Fundamental Forces or Interactions) (अन्य तीन इलेक्ट्रो मैग्नेटिक
फ़ोर्स, वीक फ़ोर्स, स्ट्रांग फ़ोर्स – Electromagnetic Force, Weak Forces,
Strong Forces ) में एक है| गुरुत्व बल प्रकृति
के सभी द्रव्यमानों (Masses) या उर्जा (Energy) के बीच
आकर्षण बल (Attraction
Force) को कहा जाता है| यह एक दुसरे को नजदीक लाता है और इस बल
के उत्त्पत्ति का कारण अभी तक अज्ञात है| यह चारों में यह सबसे कमजोर है और
सूक्ष्म कणों पर लगभग प्रभावहीन है; फिर भी मौलिक होने के कारण महत्वपूर्ण है|
इसका प्रभाव विश्यव्यापी है या यों कहे कि
प्रकृति के क्षेत्र में व्यापक है| मेरे अनुसार इसी कारण गुरुत्व को पांचवा विमा (Gravity
is Fifth Dimension) माना जाना
चाहिए| गुरुत्व एक आकर्षण बल है पर यह जितना सरल (Simple)
लगता है,उतना सरल नहीं है| यह सरल सीधी रेखा (Straight Line) में ही
अस्तित्व में नहीं है, अपितु वक्राकार रेखा (Curve Line) में
भी उपस्थित है| इसे पांचवे विमा मान लेने से आकाश में तीन निर्देशांक और समय में
समानता होते हुए भी गुरुत्व बल के प्रभाव में स्थिति भिन्न हो सकती है| इस विमा को
बड़े वस्तु के सन्दर्भ में अटपटा माना जा सकता है परन्तु सूक्षम कणों के सम्बन्ध
में सही माना जा सकता है| सूक्षम कण अपने वेव फंक्शन (Wave
Functions) की अवस्था में मौजुद रहते हैं
और इसी कारण इस विमा का सन्दर्भ महत्वपूर्ण हो जाता है| अध्यारोपण सिद्धांत (Superposition Theory) के
अनुसार सूक्ष्म कणों के सम्बन्ध में एक ही तरह के विभिन्न समय में किए गए प्रयोगों
के भिन्न भिन्न परिणाम आते हैं| ऐसे परिणामों में इन पांचवे, छठवें, और सातवें
विमाओं की भूमिकाएँ हो सकती है| गुरुत्व का प्रभाव भले ही सूक्ष्म है, पर यह यह इसलिए
भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विभिन्न समय में, और ब्रह्माण्ड के विभिन्न स्थानों
में भिन्न भिन्न तीव्रता में मौजूद है और स्थिति को प्रभावित करती है|
मेरे
अनुसार छठा विमा इलेक्ट्रो स्थैतिक बल (Sixth
Dimension is Electro- Static Force) है| ब्रह्माण्ड
की सभी वस्तुएँ पदार्थ एवं उर्जा से बनी हुए है और पदार्थ एवं उर्जा का एक दुसरे
में रूपांतरण होता रहता है या हो सकता है| प्रत्येक उर्जा या पदार्थ के कणों या
तरंगों में आवेश (Charge) होता है
और यह आवेश दुसरे आवेश को संपर्क में आकर या बिना संपर्क में आए ही प्रभावित करती रहती है| इसके साथ ही यह आवेश दुसरे
पदार्थ के सतह पर बिना सम्पर्क में आए ही विपरीत प्रकृति और सामन मात्रा में आवेश को उत्प्रेरित (Induce) करता
है| इस तरह यह भी विश्वव्यापी प्रभाव में है; भले इसकी मात्रा अलग अलग समयों और स्थानों में अलग अलग है| यह सूक्ष्म और बृहत्
सभी वस्तुओं एवं उर्जाओं के लिए सामान रूप से महत्वपूर्ण है| वैज्ञानिक इसे छठवें विमा
के रूप में मान कर इसका परिक्षण करें|
मेरे
अनुसार सातवाँ विमा चुम्बकीय बल (Seventh Dimension is Magnetic Force)
है| सभी पदार्थों के कणों में चुम्बकीय गुण पाए जाते हैं; भले ही उसकी मात्रायों
में भिन्नता हो| यह आवेशों की गत्यात्मकता से भी उत्पन्न होता है और प्रभावित होता
है| इस तरह यह चुम्बकीय बल पदार्थों और आवेशों के स्थान परिवर्तन, पुनर्विन्यास और
गत्यात्मकाताओं (समय के सापेक्ष गति) से बदलता रहता है| इसका प्रभाव सम्पूर्ण
ब्रह्माण्ड पर है और यह एक महत्वपूर्ण विमा है|
जिस तरह प्रथम
तीन परंपरागत विमाओं से सहज होना और सहजता से समझ आना आसन रहा है; चौथे विमा समय
(Time) को आज भी सहजता
से अंगीकार
(accept) करने दिक्कत होती है| इसी कारण पांचवें, छठवें, और सातवें
को सहजता (spontaneity, innateness) से स्वीकार करना कठिन
है| लोगों को एक आपत्ति होती है कि उन्होंने ऐसा आज तक पढ़ा नहीं है; मानों उनका पहले ही पढ़
लेना हे किसी नवोन्मेषी विचार को मानाने की प्रथम शर्त है| “आउट ऑफ़ बॉक्स” की भी सोंच हो सकती है; ऐसा उनके जेहन में ही
नहीं आता| नए विचारों का तो विरोध पागलपन की हद तक होती है| विरोध होना चाहिए परन्तु तथ्यात्मक
(Factual), तार्किक (Logical), साक्ष्यात्मक
(Evidential) और वैज्ञानिक (Scientific)|
मैं यह भी नहीं कहता कि ये तीनों सही ही साबित हो; परन्तु विज्ञान का विकास ऐसे ही
होता है| पहले पूर्व धारणाएँ (Postulation) स्थापित की जाती है और फिर उसे वैज्ञानिक परीक्षणों से जांचा जाता है| यदि
सही साबित हो गया तो उसे कई दृष्टिकोणों से भी कई बार दुहराकर जाँचा जाता है| इसके
बाद ही विज्ञान का सिद्धांत (Theory of Science) बनता है| मैंने इसे अपनी सहज वृति (Intuition) से समझा और फिर उसे सम्पादित कर आपके समक्ष उपस्थापित कर रहा हूँ|
निरंजन
सिन्हा
स्वैच्छिक
सेवानिवृत राज्य कर संयुक्त आयुक्त,
बिहार,पटना|
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