रविवार, 5 अक्टूबर 2025

संघ के 100 वर्ष और डॉ हेडगेवार ......

इस वर्ष यानि वर्ष 2025 के विजयादशमी को ‘संघ’ यानि ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ की स्थापना का शताब्दी समारोह मनाया गया| इसके संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार थे| इस तरह डॉ हेडगेवार इस विशाल संगठन के अधिष्ठाता (वैचारिक एवं सैद्धान्तिक आधारशिला रखने वाले) हुए, अर्थात इन्होने ही इस ‘संघ’ संगठन को ‘वैचारिक एवं दार्शनिक’ आधार  दिया| मैं अब एक ‘आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक’ दार्शनिक एवं शिक्षक हूँ, और इस नाते इस शताब्दी वर्ष में उस विशाल एवं गंभीर शख्सियत के व्यक्तित्व में झांकने का एक प्रयास कर रहा हूँ|  

चूँकि एक ही ‘तथ्य’ (Fact) के अनेक ‘सत्य’ (Truth) होते हैं, और ये सभी ‘सत्य’ अपने अपने स्थान, सन्दर्भ, पृष्ठभूमि एवं काल में ‘सही’ (Correct) होते हैं, इसीलिए कोई भी मेरे इस आलेख पर त्वरित ‘स्वत: प्रतिवर्ती क्रिया’ (Reflex Action) करने से पहले ठहर कर शान्त मन से अवलोकन करना चाहेंगे| एक ही ‘तथ्य’ के अनेक ‘सत्य’ इसलिए होते हैं, क्योंकि अवलोकनकर्ता व्यक्ति के चेतन (समझ) का स्तर और गुणवत्ता अलग अलग होता है| इस तरह वह हर व्यक्ति अपनी समझ के अनुसार सदैव ‘सही’ होता है, और इसीलिए उसका समझ ‘सत्य’ भी होता है|

किसी भी ‘तथ्य’, या ‘घटना’, या ‘आदर्श’, या ‘विचार’ को सही एवं सम्यक परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए उसके ‘इतिहासवाद’ (Historicism) को समझना आवश्यक होता है| ‘इतिहासवाद’ के अनुसार सभी घटनाएँ अपने ऐतिहासिक परिवेश में एवं ऐतिहासिक शक्तियों के परिणामस्वरुप प्रतिफलित होते हैं| वैसे उस व्यक्तित्व को समझने के लिए यही काफी नहीं होगा| चूँकि मैं यहाँ डॉ हेडगेवार का इतिहास लिखना चाह रहा हूँ, इसलिए मुझे उनको इतिहास में ‘सामाजिक उद्विकास’’ (Social Evolution) के सिद्धांत, ‘सामूहिक अचेतन’ (Collective Un Consciousness) के सिद्धांत, ऐतिहासिक शक्तियां की क्रियाविधि (Mechanism), गैलेलियो का ‘जड़त्व’ (Inertia) तथा ‘सापेक्षिता’ (Relativity) सिद्धांत, अभिव्यक्ति का संरचनावाद (Structuralism), एवं अभिव्यक्ति का विखंडनवाद (Deconstructionism) आदि के नजरिए से देखना समझना प्रमुख होगा|

ये अपनी शैक्षणिक योग्यता आयुर्विज्ञान एवं चिकित्सा में स्नातक (M.B.B.S.) कलकत्ता के नेशनल मेडिकल कालेज से प्राप्त किया| अपने कलकत्ता शैक्षणिक प्रवास में वे क्रान्तिकारी ‘अनुशीलन समिति’ में सक्रिय भागीदारी दे रहे थे| ये कांग्रेस के सदस्य भी रहे| उसी समय कांग्रेस का खिलाफत आन्दोलन भी चला| ये हिन्दू महासभा के अध्यक्ष भी रहे| वे श्री अरबिन्दो का ‘आध्यात्मिक’ सानिध्य भी प्राप्त किया और स्वामी विवेकानन्द के विचारों के काफी प्रभावित रहे| ये पश्चिमी दार्शनिक में इटली के ज्युसप मेजिनी, फ़्रांस के वाल्टेयर और जर्मनी के फ्रेडरिक नीत्शे के भी प्रशंसक थे| कोई भी सजग एवं सतर्क बौद्धिक अपने समकालीन सभी विशिष्ट क्रान्तिकारी दार्शनिकों एवं घटनाओं से प्रभावित रहता है| लेनिन की रुसी क्रान्ति इनके युवास्था की सबसे बड़ी वैचारिक क्रान्ति थी और एक अति पिछड़े हुए यूरोपीय राष्ट्र का नव निर्माण प्रारंभ हो रहा था| इनके जीवन का सबसे प्रेरक व्यक्ति इटली का एंटोनियो ग्राम्शी था, जो इनके समकालीन था| इन दोनों का जन्म और मृत्यु समय लगभग एक ही है| यदि कोई ‘संघ’ के वैचारिक अधिष्ठान के मूल्याङ्कन में इन घटनाओं की उपेक्षा करता है, या इनका ध्यान नहीं रखता है, तो स्पष्ट है कि वह मूल्याङ्कन मात्र सतही होगा|

नीत्शे ने घोषणा कि ईश्वर मर चुका है, और अब मनुष्य अतिमानव बनने के ‘स्वयं’ को तैयार रखे| इन्होने अपनी स्वतंत्रता और मूल्यों के निर्माण एवं पुनर्मूल्यांकन पर काफी जोर दिया| वाल्टेयर ने न्याय, समता, स्वतंत्रता एवं बन्धुता का समर्थन किया| मेजिनी का राष्ट्रवाद और इटली का एकीकरण प्रमुख प्रभावी विचार रहे| विवेकानन्द भारतीय समाज से जातिवाद, पाखण्ड एवं अत्यधिक कर्मकाण्ड को मिटाना चाहते थे| इन सभी के प्रभाव का योगदान इनके व्यक्तित्व मूल्याङ्कन में दिखना चाहिए|

एंटोनियो ग्राम्शी के वैचारिक दर्शनों में सबसे प्रमुख ‘सांस्कृतिक वर्चस्ववाद’ (Cultural Hegemony), ‘राजनीतिक समाज (Political Society) एवं नागरिक समाज’ (Civil Society), ‘राष्ट्रवाद’ एवं ‘बौद्धिकता के विकास के लिए शिक्षा’ रहा| एंटोनियो ग्राम्शी अपने समय का सबसे सशक्त क्रान्तिकारी दार्शनिक था, जिसने कार्ल मार्क्स के दर्शन को ख़ारिज करते हुए एक नयी व्याख्या दिया| इनका जीवन डॉ हेडगेवार के जीवन के सामानांतर रहा| डॉ हेडगेवार के दर्शन एवं कार्यान्वयन में ये संकल्पनाएँ प्रस्फुटित होता दिखता है| इन संकल्पनाओं को समझे बिना डॉ हेडगेवार का सम्यक इतिहास लिखना अधुरा है|

डॉ हेडगेवार के गुजर जाने के बाद चीन में माओ त्से तुंग आए और अपनी ‘महान सांस्कृतिक क्रान्ति’ के द्वारा एक अत्यन्त पिछड़े हुए राष्ट्र को वह आधार दिया, जिस पर आज का शक्तिशाली चीन खड़ा है| यह ग्राम्शी के ‘सांस्कृतिक वर्चस्ववाद’ के सिद्धांतों की समझ और कार्यान्वयन का परिणाम है| यही समझ डा हेडगेवार में भी थी| संभवत: इसीलिए वे ‘राजनीतिक समाज’ के लिए स्वतन्त्रता आन्दोलन के पक्षधर नहीं थे, और वे ‘नागरिक समाज’ के समावेशी पुनर्निर्माण चाहते थे| वे भारतीय समाज के सामाजिक सांस्कृतिक रूपांतरण के समर्थक थे| समाज में बौद्धिकता के समस्त विकास की आवश्यकता को समझते थे| यह ध्यान देने की बात है कि वर्ष 1925 में जिस ‘संघ’ की स्थापना हुई, उसमे सभी प्राथमिक सदस्यों की कुल संख्या मात्र 15 के लगभग थी और ये सभी 10 से 12 वर्ष के आयु समूह थे| क्या उन्हें युवा या प्रौढ़ उम्र के लोग नहीं मिल रहे थे, या वे समस्त नागरिक मूल्यों एवं संस्कारों के साथ बौद्धिकों का नव निर्माण कर नए ‘नागरिक समाज’ की नींव देना चाहते थे? यह समझने की बात है|

यह भी ध्यान देने की बात है कि ‘संघ’ की स्थापना के अगले ही वर्ष इस संघ का नामकरण ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ हो गया| आज विदेशों में ‘हिन्दू स्वयंसेवक संघ’ स्थापित है| क्या डॉ हेडगेवार ‘हिन्दू स्वयंसेवक संघ’ स्थापित नहीं कर सकते थे? राष्ट्रीय शब्द के लिए ‘राष्ट्र’ को समझना आवश्यक है| ‘राष्ट्र’ एक संस्कृति है, जो एक निश्चित भूगोल का ऐतिहासिक परिणाम होता है| विदेशों के अधिकतर छोटे देशों में ‘राष्ट्र-राज्य’ (Nation- State) की संकल्पना है, जबकि भारत जैसे बहु सांस्कृतिक देश में ‘राज्य –राष्ट्र’ (State Nation) की संकल्पना है|  भारत का एक निश्चित एवं सुरक्षित भूगोल रहा है और भारत के इस भूगोल का एक लम्बा इतिहास भी रहा है| इसीलिए भारत का राष्ट्र एक विविधता में एकता वाली संस्कृति (सामूहिक अचेतन) है|

‘हिन्दू’ शब्द अपनी उत्पत्ति से ‘भौगोलिक अर्थ रखता रहा, जिसका अर्थ ‘हिन्द स्थान’ या ‘हिन्दू स्थान’ (हिंदुस्तान) रहा है| बाद के समय में ‘हिन्दू’ एक सामाजिक और सांस्कृतिक संकल्पना बन गयी| आज यह ‘हिन्दू’ एक सम्प्रदाय (पन्थ) यानि धार्मिक स्वरुप में प्रचलित होता जा रहा है| यही भावार्थ इसे विवादास्पद बनाता है|

‘संघ’ के शताब्दी वर्ष में डॉ हेडगेवार के व्यक्तित्व मूल्याङ्कन के लिए मैंने अपनी समझ से सामग्री उपलब्ध कराया है, लेकिन उनका मूल्यांकन आपको अपने विवेक से करना है|

आचार्य प्रवर निरंजन जी

दार्शनिक, शिक्षक एवं लेखक

अध्यक्ष, भारतीय अध्यात्म एवं संस्कृति संवर्धन संस्थान, बिहटा, पटना, बिहार| 

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