पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन (भाग – 22)
‘ग्रीक पौराणिक कथाओं में’ “ट्रोजन हॉर्स” (काठ का घोड़ा') एक लकड़ी का खिलौना स्वरूप घोड़ा था ,
जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका इस्तेमाल यूनानियों ने ‘ट्रोजन
युद्ध’ के दौरान ‘ट्रॉय शहर’ में प्रवेश करने और युद्ध जीतने के लिए किया था।
यूनानी सेनाओं की वापसी देख इस बडे खिलौने को ट्रॉय शहर वाले अपने नगर-
किले के अन्दर ले गए। रात्रि के शान्ति पहर में उस घोड़े में छिपे हुए यूनानी
सिपाहियों ने निकल कर किले का फाटक खोल दिया और योजना अनुसार बाहर इंतजार कर
यूनानी सैनिकों ने किले के अन्दर जाकर विजयी हो गए।
एक पुरोहित भी ट्रोजन का घोड़ा होता है, जो
अपने पसंदीदा किसी
के मन के किले के अन्दर जा सकता है।
वह पुरोहित अपने
सम्मान, प्रतिष्ठा, विद्या, विवेक,एवं परम्परा से
अपने यजमान व्यक्ति और समाज के मन को खोल देता है।
फिर आप उन यजमानों को
*सुनाते रहिए,*
*बताते रहिए,*
*पढाते रहिए,* और
*समझाते रहिए।*
चाहे आपका विषय वस्तु
*विज्ञान का हो,*
*समृद्धि का हो,*
*विकास का हो,*
*संस्कार का हो,*
*संस्कृति का हो*, या
*अध्यात्म का हो।*
तो शिक्षित प्रशिक्षित पुरोहित बनिए,
हर समाज में से
बनाइए, और
पुरोहित प्रशिक्षण
एवं शोध मिशन से जुडिए।
भारत को फिर से विश्व गुरु
बनाइए।
आचार्य प्रवर निरंजन
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