गुरुवार, 12 दिसंबर 2024

पुरोहिताई - युवाओं के लिए सम्मानजनक अवसर

पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन  (भाग - 7) 

आज युवाओं को संबोधित किया जा रहा है, हालाँकि इसे कोई भी समझ सकता है| आज इस ‘पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन’ से प्राप्त शिक्षण एवं प्रशिक्षण का व्यवसायिक पक्ष समझेंगे| क्या यह मिशन सिर्फ पर- हित के लिए ही है? यह एक अहम् सवाल है|

आज धर्म एवं अध्यात्म एक शानदार और समृद्धि के साथ बढ़ता हुआ एक आकर्षक व्यवसाय भी है। यह आपको सब कुछ यानि सम्मान, प्रतिष्ठा, आदर, धन, सामाजिक स्वीकृति का अहसास, और समाज को कुछ देने का ‘आत्म-संतुष्टि का भाव’ उपलब्ध कराता है| यह करने में एक सरल व्यवसाय यानि धंधा भी है| लेकिन यह अपने परिणाम में यानि प्रतिफल में असाधारण भी है।

यह व्यवस्थित, सम्मानजनक और स्थायी रोजगार है, जिसकी कोई सेवा निवृति तिथि नहीं होती है। आप एक सफल चिकित्सक की तरह जीवन भर सम्मान के साथ कार्यरत रहते हैं, और समाज को सदैव ही देते रहते हैं|  इसे समझिए और इसमें हिस्सेदार बनिए, साझेदार बनिए। 

आपको पुरोहिताई और संस्कारक का प्रशिक्षण "पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन" कराएगा। समुचित प्रशिक्षण के बाद आवश्यक प्रमाण पत्र भी मिलेगा। 

यदि आप कोई अन्य मुख्य कार्य भी करते हैं, तब भी यह आपको सामाजिक सम्मान के साथ सामाजिक हिस्सेदारी का भाव दिलाने वाला एक बेहतरीन कार्य साबित होगा|और इसके लिए न्यूनतम कोई उम्र सीमा नहीं है, यानि उम्र का कोई बन्धन नहीं है। यह समाज से जुड़ने वाला एक प्रतिष्ठित, पारम्परिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक कार्य है| आप इसके ही साथ भारतीय महान संस्कृति के ध्वजवाहक भी बनते हैं|

आपके लिए आवश्यक यजमानों तक पहुँच के लिए डिजिटल नेटवर्क और बेवसाइट भी उपलब्ध कराया जा रहा है। 

यह समृद्ध, स्थायी, सम्मानित, प्रतिष्ठित, प्रभावशाली रोजगार है। यह रोजगार कई सामान्य प्रतिबंधों से अलग है। इसमें प्रवेश के लिए कोई तनाव नहीं है। 

आप अपने पसन्द की और अपने स्वेच्छा से पंथ, धर्मसम्प्रदाय का चुनाव कर सकते हैं। 

और इसकी गारंटी भारतीय संविधान की धारा - अनुच्छेद 25 करती है, जो आपका संवैधानिक मूल अधिकार है। इसे जानिए, समझिए, और अपने संवैधानिक अधिकार का उपयोग कीजिए, इसको प्राप्त कीजिए|

इसीलिए हमें इसके बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। 

अब हमको और आपको ही आगे आना है। 

विचार कीजिए। 

आचार्य प्रवर निरंजन 

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