पुरोहित प्रशिक्षण एवं शोध मिशन (भाग - 20)
कुछ
लोग या *अधिकतर लोग पाखंड, ढोंग, अंधविश्वास और कर्मकांड की सही संकल्पना को
नहीं समझते* हैं, और इन सबों के उपयुक्त प्रयोग में असावधान
हो जाते हैं।
किसी बौद्धिक को यदि ऐसा लगता है कि
वे कोई पाखंड,
ढोंग, अंधविश्वास और कर्मकांड नहीं करते हैं,
तो वे नादान है।
क्या
ये तथाकथित बौद्धिक लोग किसी सामाजिक संस्था का निर्माण बिना किसी औपचारिकता के भी पूरा करते हैं? तब उन्हें विवाह की भी घोषणा
की क्या आवश्यकता है?
तब समाज को कैसे पता होगा कि
कोई नयी सामाजिक संस्था बनी है, या
किसी पूर्वर्ती सामाजिक संस्था में कोई बदलाव हुआ है?
हर सामाजिक संस्थाओं का
निर्माण बिना किसी औपचारिकता के पूर्ण ही नहीं होता है, भले ही वे वैधानिक
प्रक्रियाओं के अन्तर्गत किसी “वैधानिक पुरोहित” के द्वारा किया गया है।
परिवार
और समाज के सदस्यों के बदलते कर्म,
अधिकार और उत्तरदायित्व की विधिवत घोषणा
समाज के समक्ष करनी होती है। इन्हीं औपचारिक घोषणाओं से ही सामाजिक संस्था निर्मित
होती है।
इन्ही औपचारिकताओं के घोषणाओं से ही संबंधित होता है
ये पाखंड, ढोंग, अंधविश्वास और कर्मकांड।
इसे समझिए। और परोहिताई से कम से कम चिढ़िए । और
अपनी
ऊर्जा,
समय, संसाधन, उत्साह और
वैचारिकी के सकारात्मक बदलाव के लिए उपयोग कीजिए।
अत:
पुरोहित बनने के लिए एवं
पुरोहित
प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु संपर्क सूत्र :
1. अशोक कुमार जी
+91
98734 98047
2. राहुल पटेल जी
+91
86101 36135
(उपर्युक्त मोबाइल नंबर पर भारत में रहने वाले ‘भारतीय
मानक समय’ (IST) के अनुरूप ही संवाद करें, एवं भारत से बाहर रहने वाले भारतीय अपना लिखित संवाद भेज कर संपर्क कर
सकते हैं| )
इसे
समझिए। और पुरोहित बनिए।
आचार्य
प्रवर निरंजन
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