बुधवार, 1 मई 2024

चुनाव कौन जीतता है?

अहम् सवाल है चुनाव कौन जीतता है, या चुनाव कैसे जीता जाता है? जीतता तो कोई एक ही है, यानि उन लोगों का प्रतिनिधित्व कोई एक ही करता है| तो वह कौन व्यक्ति है, जिससे जनता या मतदाता प्रभावित होता है, यानि उनकी बातों में ही वह बह जाता है, उड़ जाता है, चला जाता है? यही सब वैज्ञानिक ढंग से, यानि व्यवस्थित एवं संगठित रूप में समझने जानने के लिए ही यह आलेख है|  

चुनाव का अर्थ ही होता है कि कई उपलब्ध विकल्प में से किसी एक या कई का चयन करने की प्रक्रिया| अधिकतर चुनाव में सिर्फ एक ही पद के लिए, यानि एक ही व्यक्ति का चुनाव किया जाता है, लेकिन कभी कभी वरीयता निर्धारण के मत (Vote) के द्वारा एक से अधिक व्यक्तियों का भी चयन एक साथ किया जा सकता है|अब तो चुनाव लोकतंत्र (Democracy) और गणतंत्र (Republic), दोनों तंत्र की ही आधारशिला हैं| इस तरह लोकतंत्र एवं गणतंत्र, दोनों ही लोगों के द्वारा चुनाव प्रक्रिया पर निर्भर करता है| जैसा कि आप जानते ही हैं कि लोकतंत्र में वास्तविक ‘शासन प्रमुख’ (Head of the Government) का चयन लोगों के द्वारा होता है, और गणतंत्र में “राज्य प्रमुख” ((Head of the State/ Country/ Nation) का चयन  लोगों के द्वारा होता है|

तो चुनाव प्रत्यक्षत: हो या अप्रत्यक्षत: हो, #"चुनाव_जीतने_की_क्रियाविधि" (#Mechanism_of_Winning_Elections) एक ही होगा| यानि #"चुनाव_जीतने_का_मनोविज्ञान (#Psychology_of_Winning_Elections) की प्रक्रिया या क्रियाविधि एक जैसी ही होगी| ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि चुनाव भी व्यक्ति का होता है, और चुनाव करने वाले भी व्यक्तियों का समूह ही होता है, यानि चुनाव की प्रक्रिया में सारा खेल ही व्यक्तियों या इनके समूह की समझ के द्वारा ही होता है| इसीलिए चुनाव में शामिल एक व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह भी मनोविज्ञान के कारणों एवं प्रक्रियाओं से ही प्रभावित, संचालित, नियमित, एवं नियंत्रित होता है| चूँकि मनोविज्ञान मानव की भावनाओं, विचारों एवं व्यवहारों की क्रियाविधि एवं प्रतिक्रिया को समझाता है, इसीलिए जो मतदाताओं के इस मनोविज्ञान को समझता है और उसका समझदारी के साथ व्यवस्थित एवं संगठित उपयोग करता है, वही चुनाव को भी प्रभावित, संचालित, नियमित, एवं नियंत्रित भी करता है, या कर सकता है|

आपने भी सुना होगा, कि दिमाग हमेशा दिल से हार जाता है| दिमाग (Brain) कहने का तात्पर्य उसकी तर्कशीलता यानि बुद्धि के प्रयोग एवं उपयोग से होता है, और दिल कहने का तात्पर्य उसका मन (Mind) हुआ, जो उसकी भावनाओं का प्रयोग एवं उपयोग करता है| कहने का अर्थ यह हुआ कि मानव की भावनाओं, विचारों एवं व्यवहारों को संचालित, नियमित, प्रभावित एवं नियंत्रित करने में तर्कशीलता यानि बुद्धि से ज्यादा प्रभावी एवं उपयोगी उसका मन होता है| यानि जो मन पर राज करेगा, यानि व्यक्ति के मन पर छाया रहेगा, वही व्यक्तियों के भावनाओं, विचारों एवं व्यवहारों को नियंत्रित करेगा| शिक्षा के अभाव में या इसकी गुणवत्ता के निम्न स्तर के लोगों में भावना और बुद्धि में अन्तर समझ में नहीं आता है, दिमाग और मन में अन्तर समझ में नहीं आता है, और इसीलिए कोई भी चतुर चालाक व्यक्ति अज्ञानता के धुंध (Mist) में उन व्यक्तियों को यानि मतदाताओं को मनचाहा चित्र दिखा सकता है, मनचाहा अर्थ समझा सकता है| ऐसी स्थिति में लोगों को, यानि मतदाताओं को भावनाओं में बहा ले जाना, या उडा ले जाना बहुत ही आसान हो जाता है| ऐसा ही नेता यानि नेतृत्व प्रभावशाली होता है, चमत्कारी होता है, जो मतदाताओं या जनता पर जादू फैला देता है| 

सामान्य लोग या तथाकथित बुद्धिजीवी लोग वैसे लोगों को #“अंधभक्त” की भी उपमा या उपाधि से संबोधित करते हैं, जो अपने नेतृत्व या नेताओं या नेता को चमत्कारी और करिश्माई मानकर उनकी भक्ति करते हैं|ऐसे अंधभक्तो को भावनाओं और बुद्धि यानि तर्कशीलता में कोई फर्क नजर नहीं आता, या समझ में नहीं आता। वे मन की क्रियाविधि और दिमाग की क्रियाविधि में अन्तर नहीं कर पाते हैं। वे मन और मस्तिष्क, दोनों को एक ही समझते या मानते हैं। ऐसा नहीं है कि अंधभक्तो की कोई एक ही श्रेणी होती है, बल्कि उन अंधभक्तो के विरोध में भी अंधभक्ति होती है, जो विरोध करने के लिए ही विरोध करते दिखते है। इस तरह दोनों प्रकार के, यानि समर्थन और विरोध करने वाले अंधभक्तो को अपने नेतृत्व में दैवीय गुण दिखते है, या दैवीय अवतार भी मानते हैं, या मान सकते हैं। 

मानव का  दिमाग उसके मस्तिष्क (Brain) को कहते हैं और दिल उसके मन (Mind) को कहते हैं| जैसा की आप भी जानते हैं कि किसी व्यक्ति का दिमाग यानि मस्तिष्क उसके मन के लिए मोड्यूलेटर (Modulator) का काम करता है, जो मन की तरंगों को शरीर को समझाने योग्य अनुदेशों (Instructions) में बदल देता है, ताकि शरीर उस पर कार्य या प्रतिक्रिया कर सके| आप मन (Mind) और मस्तिष्क (Brain) के संबंधों को बेहतर ढंग से समझने के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित भौतिकी विज्ञानी सर रोजर पेनरोज को भी पढ़ सकते हैं|

लेकिन भावनाएँ भी भूखे पेट पर काम नहीं करता है| आपने भी सुना होगा कि एक समझदार व्यक्ति जब भूखा रह कर कोई शानदार चुटकुला भी सुनता है, तो उसकी हँसी नहीं निकलती है| लेकिन जब वही व्यक्ति अपने भरे हुए पेट के बाद उसी चुटकुला को सुनता है, तो उसकी हँसी रूकती ही नहीं है| कहने का तात्पर्य यह है कि किसी भी भूखे को जब उसके पेट भर, यानि पांच किलों अनाज जब सुनिश्चित हो जाता है, तो उस व्यक्ति को भावनाओं में उड़ाया जा सकता है, बहाया जा सकता है| जब किसी की भौतिक आवश्यकताएँ पूर्ण हो जाती है, तब ही उसके भावनाओं, विचारों एवं व्यवहारों को साधारण ढंग से और बहुत आसानी से संचालित, नियमित, प्रभावित एवं नियंत्रित किया जा सकता है| जनता यानि मतदाताओं को प्रभावित एवं नियंत्रित करने के लिए उनके बीच प्रचार करना पड़ता है, जिसे ही प्रोपेगेंडा (Propaganda) भी कहा जाता है| तो कैसा प्रोपेगेंडा यानि प्रचार प्रभावशाली होता है, प्रभावकारी होता है?

उपरोक्त सभी बातों को अच्छी तरह से समझाने के लिए एक व्यवस्थित एवं संगठित प्रयास किया गया है, जिसका अवलोकन किया जाना जरुरी हो जाता है| 1937 में संयुक्त राज्य अमेरिका में लोगों की भावनाओं, विचारों एवं व्यवहारों को संचालित, नियमित, प्रभावित एवं नियंत्रित करने के विज्ञान को ही समझने के लिए “Institute of Praopaganda Analysis” की स्थापना की गई थी| इसमें कोई सात तकनीकों का उपयोग किया गया, जिसे भारतीय सन्दर्भ में समझना और जानना जरुरी हो जाता है| तब ही आप जान और समझ सकते हैं कि कौन चुनाव जीतता है, जीत सकता है| यही “चुनाव जीतने का विज्ञान” (Science of Winning Elections) है| इस संस्थान का अध्ययन “The Fine Art of Propaganda” में 1939 में प्रकाशित हुआ था, जिसे अल्फ्रेड एवं एलिजाबेथ ने सम्पादित किया था|

इन सात तकनीकों का नाम 1. Name Calling, 2. Glittering Generalities, 3. Transfer, 4. Testomonial, 5 Plain – Folk, 6. Card – Stacking, 7. Band Wagan दिया गया था, जो आज भी समुचित और उपयुक्त है| अब इन सभी को हमलोग भारतीय सन्दर्भ में उदाहरण के साथ समझते हैं|

1.                 Name Calling: इस तकनीक में अपने विरोधियों को यानि विरोधी व्यक्तियों या समूहों को उन नामों से पुकारा या संबोधित किया जाता है, जिससे उनका उपहास होता है, उनका मजाक बनाया जाता है, उनका अपमान किया जाता है| इन नामों में विरोधियों को “पप्पू” या “गप्पू” कहा जा सकता है| भारत में “पप्पू” अबोध यानि नादान बच्चा को कहा जाता है, और “गप्पू” उस व्यक्ति को कहा जाता है, जो सिर्फ गप्पें ही हांकता रहता है एवं कोई भी सार्थक कार्य नहीं करता है| इसी तरह अपने विरोधियों को देश या बहुसंख्यक समाज या गौरवशाली माने जाने वाली संस्कृति के तथाकथित दुश्मन, बताना, ऐसे लोगों को अपने देश या समाज या संस्कृति के दुश्मन देशों के मित्र या शुभचिंतक बताया जाता है, या पुकारा जाता है| इसमें अपने विरोधियों को किसी पड़ोसी देश, या कुख्यात देश, या अल्पसंख्यक समाज, या किसी अप्रभावशाली माने जाने वाली संस्कृति के शुभचिंतक या दोस्त बताया जाता है|

2.  Glittering Generalities: इसमें उच्च मूल्यों यानि उच्च स्तरीय विश्वासों से ओतप्रोत भावनाओं को आकर्षित करने वाली या अपील करने वाले मुहावरों का प्रयोग या उपयोग किया जाता है| जैसे राष्ट्र, या समाज, या संस्कृति के लिए प्रेम दिखाता हुआ कोई बात, जो राष्ट्रीयता को, संस्कृति के और अतीत से चली आ रही निरन्तरता के गौरव को. या बहुसंख्यक के हितों की तथाकथित उपेक्षा के विरोध की बातें होती है| इसमें स्वतंत्रता, समता, समानता, बंधुत्व, न्याय, आरक्षण, समाजवाद, साम्यवाद, लोकतान्त्रिक, सबको रोजगार, सबको समृद्धि, सबको घर, आदि मूल्यों के आकर्षक एवं लुभावने नारों या मुहावरों का प्रयोग बहुतायत से किया जाता है| ‘गरीबी हटाओं’ भी एक ऐसा ही नारा है  या था|

3. Transfer: इस तकनीक में किसी चित्र का यानि किसी ऐसे फोटो का उपयोग किया जाता है, जिसमे उस चित्र या फोटो से जनता या मतदाता अपने पूर्व के विचार या दृष्टिकोण या पृष्ठभूमि से, यानि उस भावना के अनुसार उस चित्र या फोटो का मिलान उस गौरवशाली परम्परा या संस्कृति से करता है, जिससे वह व्यक्ति या समूह उस परम्परा या संस्कृति का समर्थक या संरक्षक समझा जाय| जैसे पौराणिक या सांस्कृतिक स्थलों पर उसी गरिमामयी वेशभूषा एवं भावभंगिमा के साथ का फोटो| या किसी वैज्ञानिक केन्द्रों में, या किसी विद्यालयों में, या किसी सैनिक के दुर्गम एवं कठिन परिस्थितियों की फोटो को साझा करना| झाड़ू लगाना, खेत से फसल काटना या बोना, कहीं सफाई करना या किसी के साथ खाना खाना इत्यादि भी इन्हीं के उदहारण हैं|

4. Testomonial: इस तकनीक में किसी भी सम्मानित देशी या विदेशी व्यक्ति या संस्थान के द्वारा इनकी बातों, या तथ्यों, या निर्णयों, या नीतियों की प्रशंसा करवा दिया जाता है| जैसे हार्वर्ड विश्विद्यालय या नासा ने भी इसे माना, या सहमति जताई, भले ही ऐसी सहमति ‘कृत्रिम बुद्धिमता’ (AI) का उपयोग कर या ऐसे ही दुरूपयोग कर प्रसारित या प्रचारित किया जा सकता है| जब ऐसे दुरूपयोग पर प्रभावशाली नियंत्रण की व्यवस्था शासन में नहीं होती है, तो ऐसे उदाहरण भी बहुतायत में हो जाते हैं| भारत में तो किसी भी यूरोपीय व्यक्ति और किसी भी विदेशी भाषा में कही गयी बात को “एक सन्दर्भ” के रूप लिया जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि भारतीय उन्हें उत्कृष्ट एवं श्रेष्ट स्तर का संदर्भ या तथ्य मानते समझते रहे हैं| इस तकनीक में वीडियों या आडियो का जालसाजी एडिटिंग कर मनचाहा प्रभाव उत्पन्न किया जाता है, जैसा कि आजकल सोशल मीडिया में बहुत हो रहे हैं, जो गैर क़ानूनी होते हुए भी जनता को प्रभावित कर रहे हैं|  

5 Plain – Folk: इस तकनीक में Logical Fallacy का उपयोग किया जाता है, जिससे सामान्य एवं साधारण जनता समरूपता खोज लेता है या देखता है| जैसे महात्मा गाँधी का अधनंगा रहना, यानि कमर के ऊपर नंगा रहना उनका एक फ़क़ीर की वेशभूषा होती है और यह वेशभूषा भारत की अधनंगी जनता को समरूपता दिखाते हुए अपना हितैषी बना देता है| ‘मेरा क्या है, मैं तो एक फ़क़ीर हूँ’ जैसी बात जनता को यह भरोसा दिखाती है या दिलाती है कि मेरा अपना कुछ भी नहीं है, या मेरा कोई भी अपना नहीं है और मेरा सब कुछ आप जनता के लिए ही है, यानि मेरा सब कुछ साधारण सामान्य जनता के लिए ही न्योछावर है और मेरा कोई अपना सगा सम्बन्धी नहीं है| इसी कड़ी में इनका स्थानीय भाषा बोलना, स्थानीय वेशभूषा पहन कर स्थानीय परम्परा एवं संस्कृति का सम्मान करना या अपनापन दिखाना, या सामान्य लोगों के साधारण गतिविधियों में शामिल होना भी प्रमुख हैं|

6. Card – Stacking: इस तकनीक को Cherry Picking भी कहते हैं| यह तकनीक साक्ष्यों को दबाने या छुपाने में उपयोग किया जाता है| इसमें आंकड़ों एवं तथ्यों यानि साक्ष्यों को इस तरह प्रस्तुत किया जाता है, जिससे विरोधात्मक सम्पूर्ण साक्ष्य, तथ्य एवं आकंडे को छोड़कर मात्र वैसे हिस्से या अंश को ही प्रस्तुत किया जाता है, जो उनक अनुसार उनके लिए सकारात्मक अर्थ उत्पन्न करता है| इसीलिए इस विधि को Cherry Picking भी कहा जाता है, क्योंकि मनचाहे हिस्से को ही Pick किया जाता है| जैसे वैश्विक भुखमरी के इंडेक्स में अपने देश के स्थान को छोड़कर देश के परंपरागत दुश्मन माने जाने वाले पड़ोसी देश को ही इंडेक्स में दिखया जायगा कि उनकी स्थिति कितनी दयनीय है| इसमें किसी ग्राफ का वह हिस्सा दिखाया जा सकता है, जिसमे वृद्धि दर तुलनात्मक रूप में ज्यादा होता है| चूँकि ‘वृद्धि दर’ (Rate) के लिए आधार (Base) ही यदि कमतर होता है, तो वृद्धि दर ज्यादा दिखता है, जैसे विकसित देशों की अपेक्षा पिछड़े हुए देशों की वृद्धि दर ज्यादा ही दिखती है|

7. Band Wagan: इस तकनीक में लोगों के कुछ वैसे निश्चित व्यवहार, स्टाइल, अभिवृति एवं प्रवृति को अपनाने की होती है, जिसमे बहुत से लोग इसे करते होते हैं| इस तकनीक में कोई खास झन्डा घर, बाहर एवं रास्तों पर फहराना, कोई ख़ास तरह का ड्रेस पहनना, कोई ख़ास नारा बोलना या किसी खास नारा के शब्दावली से संबोधन करना इत्यादि जिसका सामान्य लोग अनुकरण करते हैं| जब आप अपने आसपास के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक परिदृश्य देखते हैं, तो इनका सम्मिश्रण के साथ उपयोग, प्रयोग एवं दुरूपयोग होते हुए आसानी से पहचान सकते हैं|

अब आपको अपने आसपास या अपने क्षेत्र/ प्रान्त में या अपने देश में देखना समझना है कि कौन से संगठन या राजनीतिक दल इन तकनीकों का व्यवस्थित एवं संगठित ढंग से समझ रहा है और उसका सजगता एवं समर्पण के साथ  उपयोग करता है, करता आ रहा है, या कर रहा है; वही संगठन या राजनीतिक दल चुनाव को जीतता है, या जीतेगा| 

आप इस भ्रम में मत रहिए कि जो तथ्यों एवं तर्कों के मुद्दों के साथ चुनाव के मैदान में उतरता है, वही चुनाव जीतता है या जीतेगा| भारत के अधिकतर तथाकथित ऐसे बौद्धिक विद्वान् हैं (जो ऐसा बनते हैं या दिखने की कोशिश करते हैं), जो जिस राजनीतिक दल को चार साल ग्यारह महीने और पच्चीस दिन विरोध करेंगे, आलोचना करेंगे, लेकिन जब वोट देना होगा तो अपनी जाति और धर्म के चश्मे से ही उम्मीदवार को देख समझ कर अपना वोट यानि निर्णय उसी के पक्ष में देंगे| यही जनता का दोहरा चरित्र होता हैं, और यही चरित्र में दोहरापन की समस्या भारतीय राष्ट्रीय समस्या हो गयी है, जो अब देश का सामान्य चरित्र बन चूका है|

इस आलेख का उपयोग सामाजिक सांस्कृतिक नेतृत्व पाने में भी किया जा सकता है, यानि इसे उस दृष्टिकोण से भी समझा जा सकता है, यानि समझा भी जाना चाहिए। 

आचार्य निरंजन सिन्हा

भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक 

4 टिप्‍पणियां:

  1. बड़ा ही सटीक तथ्य देने के लिए आप को बहुत बहुत आभार।

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  3. A comprehensive explanation of "Science of winning elections". I express my gratitude to you for putting such facts on this platform 🙏

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