सोमवार, 8 नवंबर 2021

ज्ञान को समझें (Understand the Knowledge)

सभी दुखों या समस्याओं का मूल एवं एकमात्र कारण अविद्या (Ignorance) हैयानि ज्ञान (Knowledge/ Wisdom) का अभाव है| इसीलिए सभी समस्याओं का निदान भी यानि समाधान भी ज्ञान की प्राप्ति है| यह इतना महत्वपूर्ण है कि इस विषय का समुचित अध्ययन किया ही जाना चाहिएयह क्या हैइसे कैसे प्राप्त किया जाता हैइसकी क्रियाविधि को समझना जरूरी है|

ज्ञान (Knowledge) कई नामों से जाना जाता है- विद्याजानकारीबोधसूचनासमझदारीजागरूकतातथ्यबुद्धिमता आदि आदिहालाँकि सुचना को ज्ञान नहीं मानना चाहिएवस्तुत: ज्ञान सूचनाओं का समझदारी के साथ उपयोग करना ही है| किसी विषय या वस्तु की प्रकृतिस्वरूपसंरचना या क्रियाविधि को वैसा ही अनुभव करना यानि समझना या जानना जैसा कि वह वास्तव में हैही ज्ञान हैविद्या है| .....इसे थोड़ा सरल भाषा में यों समझें कि ज्ञान सदैव विषय सापेक्ष (Relative) होता हैऔर विषय का भी अपना एक सुनिश्चित संदर्भ या आधार होता है।.. तो जब आप किसी विषय को उसके सम्यक सन्दर्भ में 'कारण-कार्यके नियमों के आधार पर संपूर्ण परिपूर्णता के साथ समझ लेते हैंतो उसे ही ज्ञान या सम्यक बोध कहा जाता है।

ज्ञान को मुख्यतया ज्ञानेन्द्रियों (Sensors) से यथा आँखनाककानजीभ एवं त्वचा से हासिल किया जाता हैतथागत बुद्ध ने इन ज्ञानेन्द्रियों में छठवां ज्ञानेन्द्रिय में “मन की शक्ति” (Mental Power) को भी जोड़ा, जो पांचों ज्ञानेन्द्रियों से प्राप्त ज्ञान या संवेदनाओं का विश्लेषण एवं संश्लेषण कर अनेक नये एवं अद्भुत ज्ञानों को उत्पन्न करने में सक्षम है| इसके विश्लेषण (Analysis), संश्लेषण (Synthesis) तथा फिल्टर करने की प्रक्रिया को ही चिंतन-मनन या मंथन (Agitation) की संज्ञा दी जाती है। छठी इंद्रिय की यह मंथन की प्रक्रिया ही मानव सभ्यता के अनेक उच्च स्तरीय ज्ञानों की उत्पत्ति का मूल कारण है। प्रथम पांचों इन्द्रियों को ज्ञान प्राप्ति का प्रारंभिक स्रोत माना जाता हैइनके माध्यम से हमलोग उस वस्तु की संवेदना यानि सूचना प्राप्त करते हैंजबकि तथागत बुद्ध द्वारा निर्दिष्ट छठी इंद्रिय अति विशिष्ट है।

मन की शक्ति को  मानसिक दृष्टि (Vision) कहते हैं, जो मस्तिष्क के सहयोग से कार्य करता हैयह एक कौशल हैजिसे विकसित किया जाता है| अर्थात इसे कोई भी पा सकता हैसीख सकता हैयह कोई जन्मजात योग्यता नहीं हैइसी कारण इसकी पूर्णता किसी को प्राप्त नहीं होतीइसके कई स्तर (Level) होते हैंजो सीखने वाले की शिक्षा (Education) तथा उसके मनन-मंथन (Agitation) के साथ-साथ उसके इन शिक्षा एवं मनन मंथन से प्राप्त सामग्री के 'सुनिश्चित लक्ष्यगत संगठन' (Well- determined target oriented Organisationयानि विन्यास (Orientation, Arrangement) के स्तर पर निर्भर करता हैडॉ आम्बेडकर का नारा “Educate, Agitate, Organise” भी यही है|

प्रज्ञा (Intution) अंत;करण की आवाज हैयानि हमारे अस्तित्व की अतल गहराइयों से निकली आवाज हैइसे आभास या अंतर्बोध भी कहते हैंइसे सामान्य भाषा में आभास” (Intuition – प्रज्ञा ज्ञान) भी कहते हैं| सामान्यत: यह ज्ञान व्यक्ति के चेतनता (Consciousness) के सर्वोच्च स्तर अधिचेतन (Super Consciousness) के स्तर पर अनन्त प्रज्ञा” (Infinite Intelligence) से संपर्क करने पर आता हैतथागत बुद्ध या अल्बर्ट आइंस्टीन या स्टीफन हाकिन्स का ज्ञान इसी श्रेणी से प्राप्त एवं स्तर का ज्ञान है|

ज्ञान के चार स्तर (Level) होते हैं –

1.सामान्य ज्ञान” (General Knowledge) : सूचनाओं को जानना एवं समझना “सामान्य ज्ञान” हैइसे सामान्यत: रट कर (Rote Learning) एवं समझ कर प्राप्त किया जाता हैभाषाओं (Languages) का अनुवाद (Translation) करना और समझना इसी श्रेणी में आता है|

2.भावनात्मक ज्ञान” (Emotional Knowledge) : अपना एवं सामने वाले की संवेदनाओं एवं भावनाओं को जानना एवं समझना और सामने वाले के अनुरूप अपनी भावनाओं को ढाल कर अपना व्यवहार संयोजित करना ही  “भावनात्मक ज्ञान” कहलाता हैइसमें प्रथम स्तर यानि सामान्य ज्ञान भी समाहित होता है|

3.सामाजिक ज्ञान” (Social Knowledge) : अपने समाज की अपेक्षाओं (Expectations) को समझ कर अपने को ढालना (mould yourself) “सामाजिक ज्ञान” हैइसे सफलता का विज्ञान भी कहा गया हैइसमें पहला दोनों स्तर भी शामिल होता है|

4.विवेकी यानि बौद्धिक ज्ञान” (Wisdom Knowledge) : जब कोई व्यक्ति मानवता को, यानि भविष्य को ध्यान में रखकर ज्ञान प्राप्त करता हैऔर उसका उपयोग करता हैतब वह विवेकी ज्ञान (Wisdom Knowledge) माना जाता हैइसे "बुद्धिमात्तापूर्ण  ज्ञान" भी कहते हैंइसमें उपरोक्त तीनों ज्ञान के स्तर शामिल होते हैंतथागत बुद्ध इसी “ज्ञान” की बात करते रहे|

ज्ञान के विषय की प्रामाणिकता या वास्तविकता के  ‘आधार' (Base) पर इसे दो वर्गों में बांटा गया है –

1.मिथक (Myth) ज्ञान :

जो ज्ञान मात्र कल्पित कहानियाँ होउसे मिथक कहते हैंऐसे ज्ञान के विषयों का कोई पुरातात्विक आधार या कोई प्रमाणिक साक्ष्य नहीं होता हैइसका साक्ष्य कोई मिलता-जुलता प्राकृतिक बनावट या कोई पुरातात्विक साक्ष्य होता हैजिसे तथाकथित स्वार्थी ज्ञानी लोगदूसरों पर जबरदस्ती थोपते (Impose) हैं या थोपने का प्रयास करते हैंऐसा अक्सर यथास्थितिवादी (Status Quoist) ही करते हैंइसकी सत्यता जांचने का एक ही तरीका है कि – इसके लिए प्रमाणिक साक्ष्य मांगे तथा तर्कसंगत व्याख्या करेंयदि यह साक्ष्यतर्क एवं विवेक से संपुष्ट नहीं होता हैतो यह स्पष्टतया मिथक हैकल्पित कहानी हैभारत के कई ज्ञान मिथक की श्रेणी में आते हैंइनका कोई प्रमाणिक साक्ष्य नहीं हैइनका साक्ष्य कोई दूसरा मिथक ही होता हैजिसका अपना ही कोई प्रमाणिक साक्ष्य नहीं होतायह “आस्था” (Devotion) पर आधारित होता हैऐसे समाज सारे प्राकृतिक संसाधनों के होने के बावजूद भी पिछड़े हुए होते हैंजैसे भारत।

 2.वैज्ञानिक (Scientific) ज्ञान :

जो ज्ञान विज्ञान अर्थात “कारण – कार्य” (Cause – Effect) पर आधारित हैविज्ञान से सम्पुष्ट (वैज्ञानिक) ज्ञान हैयह तथ्य (Fact), साक्ष्य (Evidence), तर्क (Logic), विज्ञान (Science) एवं विवेक (Rationality) पर आधारित होता हैयानि उनसे प्रमाणित होता हैइन्ही आधारों पर भारतीय इतिहास अनुसन्धान परिषद् के संस्थापक अध्यक्ष प्रोफसर रामशरण शर्मा ने अपनी हाल में प्रकाशित (ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस) पुस्तक “भारत का प्राचीन इतिहास” में भारत के 'वैदिक सभ्यताके अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया हैऐसे ज्ञान पर आधारित समाज ही आज विकसित देशों की श्रेणी में हैं।

ज्ञान की प्रक्रिया (Mechanics) से उत्पन्न होने वाले लाभ चार तरह के होते हैंजिनकी वजह से ज्ञान को शक्ति की संज्ञा प्रदान की जाती हैअर्थात जिसके पास बुद्धि या ज्ञान हैवही वास्तविक शक्तिमान हैइसकी चार अवस्थाएं हैं  

1. मुक्ति (Liberation) :

जब कोई व्यक्ति किसी विषय या वस्तु के बारे में संपूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लेता हैतो वह उस विषय या वस्तु से निरपेक्ष (Absolute, Neutral) भाव रखने में समर्थ हो जाता हैयानि वह उससे कोई आग्रह (Attachment) नहीं रखता | उसे उस विषय या वस्तु से कोई आकर्षणघृणालगावया विरोध नहीं होता हैवह उसे यथास्थिति में जानता एवं समझता होता हैइस तरह ज्ञाता उस विषय या वस्तु के समबन्ध में इन संवेदनात्मक (Emotional) आग्रहों से मुक्त रहता हैवह किसी पूर्वाग्रह के प्रभाव में नहीं होता हैइससे सही सूचनाओं का संग्रहण हो पाता है|

2. पूर्वानुमान  (Prediction) :

जब कोई व्यक्ति उपरोक्त प्रकार से मुक्त होकर ज्ञान प्राप्त करता हैतो वह उन प्राप्त सूचनाओं एवं ज्ञानों के आधार पर सिद्धांत (Theory) बनाता हैवह इसके आधार पर वर्तमान (Present) को समझता हैइसी सिद्धांत के आधार पर वह भविष्य (Future ) एवं भूतकाल (Past) की अवस्थाओं का पूर्वानुमान करता है और समझता हैइसे पूर्वानुमान या त्रिकालदर्शन की क्षमता कहते हैं|

3. कार्य साधन (Manipulation) :

जब कोई व्यक्ति अपने ज्ञान के आधार पर वर्तमानभविष्य एवं भूत को समझ जाता हैतो वह अपने इस अर्जित ज्ञान का उपयोग अपने इच्छित कार्य साधन में करता हैइसे सामान्य लोग ज्ञान का हेरा फेरी भी कहते हैंइसे बौद्धिक लोग ज्ञान का उपयोग या सदुपयोग कहते हैंजब विज्ञान के ज्ञान को उपयोगी बनाया जाता है तो उसे इन्जिनीयरिंग या अभियंत्रण (Engineering) कहते हैंऔर जब इस ज्ञान पर आधारित उपकरणमशीनउपस्कर इत्यादि बनाए जाते हैं तो उसे तकनीक (Technology) कहते हैं|

4. नियंत्रण (Control) :

कोई भी व्यक्ति किसी विषय के संबंध में ज्ञान की उपरोक्त तीनों अवस्थाओं को प्राप्त कर लेने के बाद उस विषय या वस्तु पर संपूर्ण रूप से नियंत्रण कर पाता है यानि कि 'मास्टरीहासिल कर पाता है।|

अब आप आकलन करें कि हम- आप ज्ञान की किस अवस्था में हैं?

इसके साथ ही आप यह भी देखें कि हमारे- आपके ज्ञान का आधार (मिथक या विज्ञान) क्या है?

और हमारे- आपके ज्ञान का स्तर क्या है?

(कृपया अपने बहुमूल्य टिपण्णी ब्लाग – blog पर देंताकि दुसरे भी लाभान्वित हो सकें)

निरंजन सिन्हा

स्वैच्छिक सेवानिवृत राज्य कर संयुक्त आयुक्तबिहारपटना|

मौलिक चिन्तकव्यवस्था विश्लेषक एवं बौद्धिक उत्प्रेरक|

 

4 टिप्‍पणियां:

  1. It's a enlighten blog and it's give us new thought, think, where we are.
    I request you sir, make small video on this blog topic..

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  2. ज्ञान की कसौटी में यदि प्रेम का समावेश नहीं है, तो वह अपूर्ण ज्ञान ही कहलाता है। इसका संदरवन् श्रीकृष्ण उद्धव के संवाद से जाना जा सकता है।
    जय श्री कृष्णा।

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  3. ज्ञान की परिभाषा, स्तर, आधार एवं प्रक्रिया पर संक्षिप्त और प्रभावी प्रकाश डाला गया है. इसमें कपिल (सांख्य),गौतम (न्याय),शंकराचार्य (अद्वैत),देकारत,लाक आदि के विचार गुंथे हुये हैं. ज्ञान में प्रेम पक्ष पर भारी विवाद है और यह प्रामाणिक भी नहीं है. लेखक बधाई के पात्र हैं.

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  4. नमस्कार सर जी
    सराहनीय आलेख इसमें स्नेह,प्रेम ,राग,द्वेष के साथ पारिवारिक परिस्थितियों को भी संयोजित कीजिएगा।आभार

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