आप जानते हैं कि 'आधुनिकता' (Modernity) से ही 'प्रगतिशीलता' (Progressiveness) आती है| लेकिन यहां सबसे प्रमुख सवाल यह है, और जिसका उत्तर आप भी बड़ी बेसब्री से जानना चाहते होंगे,
कि हम 'आधुनिकता' से समझते क्या हैं?
आधुनिकता का भाव यानि अर्थ कैसे स्पष्ट यानि कि कैसे प्रकट होता है?
यदि हम आधुनिकता को समझते हैं,
तो हम प्रगतिशील भी होंगे एवं विकसित भी होंगे|
इस तरह यह विषय हर समझदार के लिए,
जो स्वयं का, संपूर्ण देश का और धरती के संपूर्ण मानव समाज का शुभचिंतक
है,
बहुत महत्वपूर्ण है|
किसी की आधुनिकता उसके विचारों (Thought) से उत्पन्न होती है|
यह उसके व्यवहारों (Behavior) एवं अन्य प्रतिमानों (Norm, Pattern) से अभिव्यक्त होती है| अर्थात आधुनिकता के लिए विचारों को उन्नत,
व्यापक एवं न्यायपूर्ण बनाना होगा|
अत: हमें आधुनिक बनने के
लिए अपने विचारों को उन्नत (Improved,
Advanced), तर्कसंगत (Logical), विवेकी (Rational) एवं वैज्ञानिक बनाना होगा|
आज हम लोग विश्व में आधुनिकता के जनक रहे महान व्यक्तियों
को और उनके विचारों को भली-भांति जानते हैं| हम यह भी जानते हैं कि उनके विचारों और उन विचारों के
अनुकरण ने कैसे यूरोप एवं अन्य कुछ देशों को आधुनिक बनाया?
और इसी के बदौलत
उनमें और पिछड़े हुए में बहुत अंतर है|अतः इसे जानना और समझना सभी बौद्धिकों (Intellectuals)
के लिए नितांत आवश्यक है|
आधुनिकता के महानायकों के नाम क्रमानुसार निम्न हैं –
1. चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) – एक व्यक्ति का प्रकृति से सम्बन्ध
2. कार्ल मार्क्स (Karl Marx) – एक व्यक्ति का समाज से सम्बन्ध
3. सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud) - एक व्यक्ति का आत्म से सम्बन्ध
4. अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) – एक व्यक्ति का ब्रह्माण्ड से सम्बन्ध
5. फर्डीनांड दी सौसुरे (Ferdinand de Saussure) – एक व्यक्ति का अभिव्यक्ति से सम्बन्ध
इनका अध्ययन इसी क्रम में होना है|
यह क्रम भी महत्वपूर्ण है| चार्ल्स डार्विन ने मानव (और मानव समूह –
समाज) एवं प्रकृति (Nature) के संबंध (एवं संघर्ष) को समझाया|
कार्ल मार्क्स ने मानव (और मानव समूह –
समाज – Society) एवं अन्य मानव के संबंध (एवं संघर्ष) को समझाया|
सिगमंड फ्रायड ने मानव एवं उसके आत्म (Self)
के सम्बन्ध (और संघर्ष) को समझाया|
अल्बर्ट आइंस्टीन ने मानव को ब्रह्माण्ड (Cosmos)
से उसके संबंधों को समझाया| फर्डीनांड दी सौसुरे ने मानव तथा उसकी अभिव्यक्ति के बीच
संबंधों को समझाया|
आप जब इन पाँचों को उचित ढंग से समझने लगेंगे,
तो यह बात अच्छी तरह से समझ सकेंगे कि किसी भी व्यक्ति में आधुनिक सोच एवं समझ कैसे आ जाती है?
चार्ल्स डार्विन ने मानव का प्रकृति से सम्बन्ध समझाते हुए स्पष्ट किया कि किसी मानव का विकास (Development) एवं उद्विकास (Evolution) कैसे होता है? इनके समय तक यह स्थापित था कि हर मानव ईश्वर (God) का विशेष निर्माण (Special Creation) है| इन्होंने पुख्ता साक्ष्यों से यह स्पष्ट किया कि मानव किसी की कृति (Creation) नहीं है, बल्कि इसका क्रमिक 'उद्विकास' हुआ है| यह बात उस समय के लिए एक क्रन्तिकारी घटना थी, क्योंकि इसने ईश्वर के अस्तित्व एवं उसके किसी निर्माण की अवधारणा को सिरे से खंडित कर दिया| इसे समझने के लिए डार्विन ने 'प्राकृतिक वरण' (Natural Selection), जीवजाति की उत्पत्ति एवं उद्विकास को समझाया|
कार्ल मार्क्स ने मानव (समाज) का मानव (समाज) से सम्बन्ध एवं संघर्ष को समझाया है|
इसने आर्थिक शक्तियों (Economic Forces) के आधार पर सामाजिक रूपांतरण (Social
Transformation) यानि बदलाव की
व्याख्या की| आर्थिक
यानि उत्पादन (Production), वितरण (Distribution), विनिमय (Exchange) एवं उपभोग (Consumption) की शक्तियों एवं उनके अंतर्संबंधों के आधार पर ही सामाजिक
बदलाव की व्याख्या को आज “वैज्ञानिक व्याख्या” माना जाता है| इससे हम आग (Fire), पहिया (Wheel), लोहा (Iron), स्टीम इंजन (Steam Engine), विद्युत (Electricity), कम्पूयटर (Computer), कम्पनी (Company) आदि की शक्तियों एवं उनके अंतर्संबंधों के आधार पर इतिहास
की वैज्ञानिक व्याख्या समझ सकते हैं| इससे हम नगरीय समाज, राज्य (State), वणिक (Mercantile) साम्राज्यवाद, औद्योगिक साम्राज्यवाद (पूंजीवाद),
समाजवाद, वित्तीय साम्राज्यवाद आदि के उदय,
विकास एवं पतन को समझते हैं|
सिगमंड फ्रायड ने किसी मानव के उसके आत्म (Self) से सम्बन्ध एवं संघर्ष को समझाया है|
इसके लिए उन्होंने ‘इड (Id)’, ‘ईगो (Ego)’ एवं ‘सुपर ईगो (Super Ego)’ की अवधारणा देकर मानव की मन:स्थिति को समझाया है|
‘इड’
किसी भी पशु (स्तनपायी - Mammal) की प्राकृतिक एवं स्वभाविक जैविक सहज प्रवृति (Instinct)
है| इसे “विचार विहीन” मानव का स्वभाव भी कहते हैं| ‘सुपर इगो’ एक बौद्धिक मानव की समझ (Understanding) है, जो उच्चतर सामाजिक संस्थाओं के मानकों से निर्धारित होता है|
इन दोनों किनारों के संतुलन को ‘ईगो’ कहते है| यही
व्यक्ति और ‘आत्म’ का संतुलन है जो किसी भी मानव की “मनोवैज्ञानिक मन:स्थिति” (Psychic Status) है| यह अचेतन (Un Consciousness), अवचेतन (Sub Consciousness), चेतन (Consciousness) एवं अधिचेतन (Super Consciousness) सक्रियता की व्याख्या करता है|
इसमें आप अध्यात्मिकता (Spirituality)
को भी शामिल कर सकते हैं, चूँकि अधिचेतन ही अनन्त प्रज्ञा (Infinite Intelligence) से संपर्क करता है|
अल्बर्ट आइंस्टीन ने मानव और उसकी गतिविधियों को अन्तरिक्ष (Space)
एवं ब्रह्मांडीय पिंडों (Cosmos Bodies) के सन्दर्भ में समझाने का एक अद्भुत सफल प्रयास किया| उनके 'सापेक्षता के विशेष सिद्धांत' (Special
Theory of Relativity - 1905) एवं
'सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत'
(General Theory of Relativity - 1915) ने कई नयी एवं क्रांतिकारी अवधारणाएं दीं – “Gravitational
Lensing” (गुरुत्वीय
परिप्रेक्ष्य), “Fourth Dimension“ (चौथा आयाम), “Distortion of Space
and Time (अन्तरिक्ष एवं समय
में विरूपण) (Relativity of Space and Time)”, Mass – Energy
Conversion and Conservation (पदार्थ
एवं उर्जा का परिवर्तन एवं संरक्षण) आदि| इन अवधारणाओं तथा ज्ञान ने मानव के अन्तरिक्ष एवं
ब्रह्माण्ड पर पहुँच को संभव बनाया| होमो सेपियन्स की अगली पीढ़ी – “होमो ड्युस” (Homo Deus) का लक्ष्य अन्तरिक्ष में शासन स्थापित करना है|हमारी पृथ्वी भी इसी ब्रह्मांड का एक भाग है और इसलिए
इन्हीं नियमों से संचालित एवं नियंत्रित है। यहां भी सब कुछ सापेक्षिक (Relative)
है, कुछ भी निरपेक्ष नहीं है।
फर्डीनांड दी सौसुरे ने मानव की अभिव्यक्ति (Expression) के “शब्दों” एवं
“वाक्यों” के सतही अर्थ (Superficial Meaning) एवं निहित अर्थ (Implied Meaning) को समझने में सहायता की| इन्होने यह समझाया कि शब्दों एवं वाक्यों के सदैव वही अर्थ
नहीं होते हैं, जो
सामान्यत: दिखते हैं| इनके निहितार्थ समझने के लिए इनके सन्दर्भ, मानव की मंशा (Intention) एवं पृष्ठभूमि (Background) को भी समझना होता है| इसके लिए दृश्य (Visual) और मानसिक दृष्टि (Mental Vision) का बोध (Perception) आवश्यक है|
जब आप इनको और विस्तार में तथा और गहराई से समझेंगे तो आप
भी आधुनिकता की मानसिकता की पूर्णता की ओर बढ़ेंगे| इससे किसी में भी भावनात्मक एवं बौद्धिक समझ बढती है,
और इससे उसकी सफलता
दर औरों की अपेक्षा बहुत ज्यादा हो जाती है| अत: आपके द्वारा इसे भली-भांति समझा जाना चाहिए|
(आप मेरे अन्य आलेख www.niranjansinha.com या niranjan2020.blogspot.com पर देख सकते हैं।)
निरंजन सिन्हा
Bahut badiya Sir....bahut sare facts ek hi lekh me pdne ko mil rha h...sabhi k liye kaafi upyogi n grahya krne yogya facts....dil se dhanybad 💐🙏
जवाब देंहटाएंVery nice sir..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंSuperb sir.
जवाब देंहटाएंWonderful n inspiring Article for understanding the concept of modernity.
जवाब देंहटाएंVery helpful to understand the concept.
But in my view the missing link is spirituality , which needs to be included with scientific understanding.
To some extent psychic powers has been explained by modern famous psychologist pointed by you.
Regards
Bahut sundar lekh .kafi facts ke sath explaination.. thanks a lot.
जवाब देंहटाएंआपकी सभी लेख अति विशिष्ट होते हैं और ज्ञान प्रद भी
जवाब देंहटाएंआपके सभी लेख अति विशिष्ट होते हैं और ज्ञान प्रद भी
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार एवं उत्कृष्ट ब्याख्या सर। जिस तरह fusion reaction के लिए fission जरूरी है, उसी तरह आपके लेख को grasp करने के लिए समझ एवं ज्ञान के प्रति झुकाव भी जरूरी है सर। अपने बहुत ही simplified रूप में महान दार्शनिकों के अद्भुद creation को सिम्प्लीफाई कर समझाने की जबर्दस्त कोशिश कर समझने का interest पैदा कर दिया है सर।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा। keep it up Sir
Excellent.
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