वैशाली के विकास का दृष्टिपत्र
(Vision Document for Vaishali)
बिहार विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र वैशाली (संख्या-125 , सामान्य) से
वर्ष 2020 के निर्वाचन के लिए उम्मीदवार प्रो० (डा०) विनय पासवान द्वारा तैयार किया गया दृष्टि पत्र
प्रो० (डा०) विनय पासवान
का संक्षिप्त परिचय:
प्रो० (डा०) विनय
पासवान अभी 39 वर्ष के युवा हैं, मिलनसार हैं, सहयोगी हैं ,और सकारात्मक,
रचनात्मक, एवं उत्पादक सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं| ये वर्तमान वैशाली जिले के
वैशाली प्रखंड के केशोपुर गाँव के निवासी हैं, जहाँ वैशाली प्रवास में तथागत बुद्ध
अपने केशो का अर्पण (बालो का मुंडन) करते थे| इन्होंने दो विषयों (हिन्दी, और
प्राकृत एवं जैन शास्त्र) में स्नातकोत्तर की उपाधि ली है जो स्वर्ण पदक के
साथ सम्मान प्राप्त है| इनके कई शोध विश्वविद्यालय स्टार पर प्रकाशित है और चर्चा
का प्रशंसा का विषय है| ये वर्तमान में नीतीश्वर सिंह डिग्री महाविद्यालय.
समरसपुर, मुज़फ्फरपुर में प्राध्यापक पद पर कार्यरत भी हैं| इनकी विशिष्ट खासियत यह है कि ये अनुसूचित जाति
के होते हुए भी पिछली विधानसभा निर्वाचन, 2015 में वैशाली के सामान्य क्षेत्र होने
के वावजूद ये निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मतों की संख्या में तीसरे स्थान पर
रहे; यह इनकी लोकप्रियता का संक्षिप्त परिचय है|
इस
क्षेत्र के लिए इनका भविष्य का दृष्टि पत्र:
1. इस
क्षेत्र के सम्यक विकास के लिए इनका मानना है कि वर्तमान वैशाली जिले के वैशाली
प्रखंड, गोरौल प्रखंड, लालगंज प्रखंड, और
बेलसर प्रखंड, मुजफ्फरपुर जिले के सरैया प्रखंड, और पारु प्रखंड, एवं
सारण जिले के मकेर प्रखंड को मिला कर एक
नया जिला बनाया जाय जिसका नाम लिच्छवी जिला या वैशाली जिला हो और उसका मुख्यालय
वर्तमान वैशाली नगर हो| इस नए जिला बनने से ऐतिहासिक लिच्छवी गणराज्य एवं तथागत
बुद्ध के जीवन से जुड़े सभी महत्चपूर्ण स्थल, नदी- घाट, क्षेत्र, वन- उपवन, शासन के
एक प्रशासनिक इकाई के अंतर्गत आ जायेगें जो अभी कई जिलो में फैले हुए हैं और एक
छोटे भौगोलिक क्षेत्र के अंतर्गत हैं| इससे पर्यटकों को भी आसानी होगी तथा
ऐतिहासिक लिच्छवी गणतंत्र के भावो को जोड़ने और पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी| इससे
इस क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों में वृद्धि होगी|
इस क्षेत्र के एक प्रशासनिक जिला
बन जाने से इस क्षेत्र को एक मेडिकल कॉलेज, एक इंजीनियरिंग कॉलेज, एक
पोलिटेक्निक इत्यादि मिल जाएगा| इससे इस क्षेत्र के विधि व्यवस्था में काफी
सुधर होगा| इससे क्षेत्र को विधि व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाए, अन्य सुविधाए इत्यादि
मिल जाएगी| जब अरवल, शिवहर, शेखपुरा, को जिला बनाया जा सकता है तो इस महत्वपूर्ण
क्षेत्र को भी जिला बनाया जा सकता है| नवगछिया और बगहा को पुलिस जिला बनाया हुआ
है|
2. रेलवे
परियोजना को जल्दी पूरा किया जाए ताकि इसे राष्ट्रीय रेल मानचित्र पर लाया जा सके|
इससे हिन्दू, बौद्ध, जैन, और इस्लाम धर्म के विभिन्न स्थलों से इस क्षेत्र को जोड़ा
जा सकेगा| यह इसके ऐतिहासिकता के लिए जरुरी है|
3. इनके
पहल पर कुछ बुद्धिस्ट मोनास्ट्री वैशाली
के पावन भूमि पर एक विश्वविद्यालय बुद्ध के नाम पर स्थापित करने को सहमत हुए हैं
और कई एकड़ जमीन देने को सहमत हुए है| इसका नाम “तथागत
बुद्ध विश्वविद्यालय” रखा जाना तय हुआ है| शुरूआती दौर में इसमे कुछ ही विषय यथा बुद्ध का
वैज्ञानिक दर्शन, वित्तीय साक्षरता, पर्यटन, उद्यमिता, आदि पढाए जायेंगे जो
क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगारपरक होगा| इसके लिए इनके द्वारा संचालित संस्था
“तथागत मानव कल्याण संस्थान” कई तरह से कार्यरत है|
4. इस
क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाए पर्याप्त नहीं मानी जाती है जो मेडिकल कॉलेज से पूरा
हो जाएगा| मेडिकल कॉलेज मिल जाने से सारी
सुविधाए मिल जाती है|
5. प्रो०
विनय जी द्वारा इस क्षेत्र के लिए विकास के अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, और
क्षेत्रिय स्तर के कई गणमान्य लोगो की एक कमिटी बनाई है जो इस क्षेत्र के
सम्यक विकास के लिए और इस क्षेत्र के युवाओं के लिए आवश्यक है| युवाओं के रोजगार के लिए इस क्षेत्र में उद्यमिता, वित्तीय
साक्षरता, सूचना का अधिकार, लोक शिकायत का निवारण का अधिकार और कारोबार का
प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसे आपके प्रतिनिधि बनने के बाद और
व्यवस्थित ढंग से चलाया जाएगा|
विकास का
दर्शन
(PHILOSOPHY of DEVELOPMENT):
सबसे महत्वपूर्ण
संसाधन- मानव
कोर्इ भी वस्तु समय एवं तकनीकी विकास
के साथ उत्पादक संसाधन बन सकता है| ज्ञान
(Knowledge), सूचना (Information), जागरूकता
(Awareness) और बुद्धिमता (Wisdom) अपने आप में
ही संसाधन है| संसाधन एक व्यक्तिगत बुद्धिमता है
जिसका उपयोग विकास में सहायता या समर्थन के लिए किया जाता है| बिहार में विकास को
इस नजरिये से नहीं देखा जा सकता है और इसी कारण बिहार का अपेक्षित विकास नहीं हो
सका है|
स्पष्ट है कि मानव ही सबसे बडा संसाधन है जो किसी भी चीज-
वस्तु या विचार (Object or
Thought) को संसाधन में बदल देता है| इस मानसिकता में अपेक्षित सुधार किए बिना कोर्इ आर्थिक सम्बल, समर्थन एवं आधारभूत ढाँचा काम नही करता है क्योंकि विकास करना भी मानव को है
और विकास पाना भी मानव को है| यदि पात्र एवं कार्यकारी तंत्र ही अयोग्य या
रुचिहीन हैं तो सब प्रयास बेकार है और किसी भी समाज के लिए यही सबसे दुर्भाग्यपूर्ण
है। बिहार सहित इस क्षेत्र की स्थिति यही है
जिसे समझना आवश्यक है|
विकास की अवधारणा और योजना :
मानव
ही विकास का केंद्र विंदु है। सभी विकास मानव का,
मानव के लिए, और मानव के द्वारा होता है। विकास
किसी भी व्यवस्था, तंत्र, प्रणाली आदि को अधिक विस्तृत, सुदृढ, बेहतर बनाने की प्रक्रिया या अवस्था है। यह किसी भौतिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक,
पर्यावरणीय क्षेत्र में वृद्धि, प्रगति,
एवं सकारात्मक परिवर्त्तन है और जीवन स्तर एवं गुणवत्ता में सुधार,
उनकी आय में विस्तार और रोजगार की सुविधाएं उपलब्ध कराना शामिल है। विकास
अवलोकन योग्य एवं उपयोगी हो, भले ही उसका तत्काल नहीं पता चले
परन्तु परिवर्त्तन गुणात्मक एवं स्थायी हो जो सदैव सकारात्मक परिवर्त्तन का समर्थन
करता रहे। समुचित न्याय और क्षतिपूर्ति के सिद्धांत (Theory of
Proper Justice and Compensation) के साथ ही समुचित विकास (Proper
Development) हो सकता है; इसके बिना विकास
विकलांग होता है अर्थात अपनी क्षमता से अति न्यून
उत्पादक होता है। विकास का पक्ष मात्र आर्थिक ही नहीं है, अपितु बहु आयामी प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत तमाम आर्थिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक व्यवस्था का पुनर्गठन एवं पुनर्निधारण
(reorganisation and reorientation) होना है। विकासात्मक प्रक्रिया में मानवीय जीवन मे गुणात्मक सुधार लाना प्राथमिकता
रहती है।
मानव के विकास के
लिए सिर्फ विकास की योजनाएँ और संसाधन ही काफी नहीं है,
जिनके लिए यह विकास प्रायोजित है, उनकी भी उसी
रुप में ग्राह्यता (Receptive) होनी चाहिए। हमलोगों की विकास प्रक्रिया एक तरफा होता है।
इस विकास प्रक्रिया में लोगो की सक्रिय भागीदारी (Active Participation) सुनिश्चित नहीं कराया जाता है। नतीजा यह होता है कि लक्षित मानव को जो
मिलता है, उसको वह दान या उपहार समझ कर ही खुश हो जाता है। विकास की एजेंसिया भी कुछ इसी भाव से अहसान कर देती है। विकास
की प्रक्रिया को सामान्य खड़ा पिरामिड
(Normal Pyramid) की तरह होनी चाहिए, नहीं कि उल्टी पिरामिड (Inverted
Pyramid) की तरह अर्थात विकास की आयोजनाओ की बुनियाद ग्राम स्तर
से शुरु होकर राष्ट्र के केंद्र की ओर होनी चाहिए। हमलोग शहरी नौकरशाहों एवं सुदुर
नगरों या देशों के आयोजनाकारो को ही सभी समस्याओं
का निदानकर्ता समझ लेते है। वे तकनीकी विशेषज्ञ हो सकते है पर उन लोगों की
परम्परागत भावनाओं एवं क्षेत्रीय सूक्ष्म समस्याओं से अवगत होने के लिए उन
क्षेत्रीय लोगों का सक्रिय सहयोग लिया जाना चाहिए। आयोजना नीचे से बनते हुए ऊपर
जाना चाहिए। विकास एक सामाजिक-
सांस्कृतिक संरचनात्मक रुपान्तरण की प्रक्रिया है।
किसी भी क्षेत्र में श्रमिकों के श्रम के उपयोग की
प्राथमिकता में सदैव उत्पादन में सहायक संरचनाओं का ही निर्माण किया जाना
चाहिए और इन संरचनाओं के निर्माण के निर्धारण में स्थानीय लोगों की सहभागिता
महत्वपूर्ण होनी चाहिए। इससे स्थानीय समस्याओ के साथ साथ उस क्षेत्र के
प्रति विशिष्ट सांस्कृतिक लगाव की भी
जानकारी आयोजनकर्ताओं को हो पाती है और स्थानीय लोगों को उनकी सक्रिय भागीदारी का
सुखद एहसास होता है जिससे उन स्थानीय लोगों का उन बनाए गए संरचनाओं के प्रति
आत्मिक लगाव बना रहता है।
इस क्षेत्र के खाली भू भागो एवं सांस्कृतिक आवश्यकताओं के
अनुरुप भूमि के सभी स्वरूपों का समन्वित उपयोग का आयोजना होना चाहिए। इससे क्षेत्र
में प्राकृतिक विविधता (Natural Diversity)
के करण अनुपम सौंदर्य (Incredible
Beauty) की स्थापना होती है जो लोगों के जीवन में निराशा
(Depression) नहीं आने देती है और स्थानीय लोगों के अतिरिक्त
पर्यटकों का आकर्षण केंद्र बन जाएगा|
ये विविधता (Diversity)
विविध प्राणियों का आश्रय स्थल बनता है। यह विविधता स्थानीय लोगो को विविध प्रकार
से व्यस्त रख पाता है और उनकी उत्पादकता को बढ़ा देता है। इन क्षेत्रों में कई
विभाग यथा कृषि, पशुपालन, मत्स्य,
वन, ग्रामीण विकास (सामाजिक वानिकी), पर्यटन विभाग , समाज कल्याण, ऊर्जा
आदि कार्यरत है जिनका आपसी और स्थानीय जनता और भूमि के साथ संतुलित एवं
समझदारीपूर्ण समन्वय अनिवार्य है। सभी विभागों में सम्बधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ
उपलब्ध है, परन्तु उदासीनता, भ्रष्टाचार,
और समन्वय का अभाव मुख्य समस्या है।
उद्यमिता
एक कौशल सीखना है, एक नजरिया बदलना है,
एक नया सोच अपनाना है, तकनीक का अनुकरण करना
है, और कार्य पद्धति विकसित करना है; पर
यह मशीन चलाने जैसा नहीं है।
एक नौकरी करने वाला (Servant) मालिक (Owner)
बनने की सही प्रेरणा नहीं दे सकता क्योँकि जिस चीज का अनुभव ही नहीं
हो वो उस भाव को कैसे दूसरों को दे सकता
है? यह काफी गम्भीर एवं विचारणीय विषय है
जिसे साधारण लोग नहीं समझ पाता है। सरकारी लोग लोगों को उद्यम लगाने की प्रेरणा (Motivation) तो दे देता है पर अंत:प्रेरणाओ (Inspiration) के अभाव में वह जल्द ही टूट जाता है। वह दूसरों को देख कर, सरकारी अनुदान (Subsidy) एवं सहायता देख कर
प्रेरित तो हो जाता है परन्तु पर्याप्त अंत:प्रेरणाओ के अभाव में जल्दी हार जाता
है।
ग्राम्य
पर्यटन, कृषि पर्यटन, मनोरंजन
पर्यटन, स्वास्थ्य पर्यटन और अध्यात्म पर्यटन एक विशाल
संभावनाओं का क्षेत्र है और इस पर काफी अध्ययन और मनन किया जा रहा है। कृषि,
उद्यम और पर्यटन के विशिष्ट जानकारी और इनके अन्तरसम्बन्धों एवं
इसके प्रति जागरूकता और रूचि पैदा करने की जरुरत है।
महिलाओं की आबादी सम्पूर्ण जनसंख्या का आधी है,
परन्तु सांस्कृतिक अवरोधों के कारण उनकी क्षमताओ का पूर्ण उपयोग
नहीं हो पा रहा है। तकनीकी एवं आर्थिक
परिवर्तनों के कारण इनकी सामाजिक भागीदारी बढ़ गयी है। अब ये घरों की चौखट पार कर
चुकी है और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा रही है एवं योगदान दे रही है।
महिलाएँ परिवार के केंद्र अर्थात धुरी (Axis)
होती है। महिलाओ की मिलनसारिता, बेहतर समन्वय,
बेहतर वित्तीय समझदारी, तुलनात्मक बेहतर
हिम्मत, बेहतर प्रबंधन कौशल
इनके स्थापित नैसर्गिक सहज प्रवृत्ति (Natural Instinct) है जो नयी संभावनाओं और
उपादेयता (Feasibility and Productivity) को सामने रख रहा
है। इनके इन स्थापित नैसर्गिक सहज प्रवृतियों
के आधार पर कई सफलताओं के कीर्तिमान स्थापित है और इन्हीं कारणों से इनकी भूमिका,
जिम्मेवारी एवं हिस्सेदारी बढ़ानी है ताकि समस्याओ का समाधान जल्दी
और सरलता से पाया जा सके। सरकार ने समावेशी विकास (Inclusive Development) में इनकी महत्ती भूमिका मानी है, फिर भी अपेक्षित
परिणाम आने बाकी है।
कानून
यानि विधि जानना सभी के लिए सम्भव नही है और इसे समुचित भी नहीं कहा जा सकता है,
परन्तु कुछ सामान्य और आवश्यक कानून जानना सबके लिए
अनिवार्य है। भारत का संविधान (Constitution), जो भारत के शासन का मूलाधार है, को संक्षेप में और
मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) को विस्तार से
जानने की आवश्यकता सबको है। सुचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act, 2005) को सबको अच्छी तरह जानना और समझना चाहिए। यह अधिनियम शासन
में पारदर्शिता लाने के लिए और भ्रष्टाचार समाप्त करने में काफी कारगर है बशर्ते
लोग इस अधिकार और इसके उपयोग को अच्छी तरह समझते
हो। सामाजिक अंकेक्षण के लिए और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए इस अधिकार अधिनियम का उपयोग सर्वविदित है।
इसी तरह का लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 की जानकारी और प्रशिक्षण
महत्वपूर्ण है|
आपदा
प्रबन्धन (Disaster Management)
यानि आपदाओं से सक्षमता के साथ निपटने का आवश्यक संक्षिप्त जानकारी
एवं प्रशिक्षण जरुरी है क्योँकि कई क्षेत्र बाढ़ प्रणव क्षेत्र है, आगजनी गर्मियों में सामान्य आपदा है, काल वैशाखी
जैसे तूफान भी अक्सर आते रहते हैं, और कई क्षेत्र भी भूकम्प
जोन -4 मे पड़ता है जो अति संवेदनशील श्रेणी में है। । पर्यावरण और
पारिस्थितिकी (Environment and Ecology) की
समझ के बिना कोई शिक्षण पूर्ण नहीं माना जाता, इसलिए इसका
शिक्षण भी शामिल किया जाना चाहिए। पोषण एवं स्वच्छता (Nutrition and
Sanitation) की जानकारी, महत्त्व और
उसके तरीके को बताया जाना कई बडी समस्याओं के शुरुआती स्तर पर निदान है। स्वास्थ्य
जागरुकता (Health Awareness) कई जटिल और बडी़ रोगों
से बचाता है। स्थानीय उत्पादों को पोषण में बदलना आसान है जिसे सबको जानना चाहिए।
उपरोक्त बातों को सीखना सब के लिए जरूरी है। युवाओं को सफलता का मनोविज्ञान
(Psychology of Success) और सफलता का वैज्ञानिक
क्रिया विधि (Mechanics of Success) समझाया जाना
चाहिए। इनको कौशल विकास और उन्नयन (Development and Advancement
of Skill) के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। अंग्रेजी
भाषा सम्प्रेषण कौशल के विकास के लिए डिजिटली प्रशिक्षण की सुविधा स्थानीय
स्तर पर कराया जाना चाहिए।
वैशाली
की सभ्यता काफी पुरानी होने के कारण इसकी संस्कृति भी काफी पुरानी है और इसी कारण
यहां कई सांस्कृतिक धरोहर मौजूद है।
पौराणिकता के दॄष्टि से महत्वपूर्ण होने के कारण इसकी पौराणिकता मार्केटिंग
योग्य है।
इस क्षेत्र के विकास के लिए उपरोक्त दृष्टिकोण एवं भविष्य योजना प्रो०
विनय पासवान जी का है जिसमे आप लोगो का सहयोग और समर्थन की आवश्यकता है| इसमे आपकी
सुझाव और समर्थन की अपेक्षा है और सादर आमंत्रित है |
(उपरोक्त सभी प्रो० विनय पासवान का भारतीय कॉपीराईट अधिनियम, 1957 के अंतर्गत सुरक्षित है और कोई भी नक़ल या
पुनरावृति सम्बंधित कानुन (अधिनियम) का उल्लंघन होगा और दंड के भागी होंगे|)
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