मैं इस आलेख में आपको वित्तीय जागरुकता (Financial Awareness) यानि वित्तीय समझदारी (Financial Understanding) यानि वित्तीय साक्षरता (Financial Literacy) के बारे में संक्षिप्त में कुछ बताना चाहता हूँ। यह हम सभी के जीवन में महत्वपूर्ण है। इस जागरुकता के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं और क्या किया जाना चाहिए? इसका लाभ कैसे पाया जा सकता है? इस जागरुकता को प्रवृति (Tendency) और आदत (Habits) में एवं जीवन संस्कार (Normal Protocol of Life) में कैसे रूपांतरित किया जा सकता है? इन्हीं सम्बन्धित सवालों का समाधान करने का प्रयास है।
भारत की एक बड़ी आबादी हमेशा अपने अस्तित्व के संकट (Crisis of Existence) के
मनोवैज्ञानिक सोच की अवस्था एवं वास्तविक स्थिति
से जूझ रही है। और इसका प्रमुख कारण लोगों में वित्तीय समझदारी की कमी है। लोगों की वित्तीय
समझदारी ही समेकित रुप में राष्ट्रीय वित्तीय समझदारी बन जाती है। इसी वित्तीय समझदारी का व्यापक प्रसार कर और लोगों की सक्रिय भागीदारी
सुनिश्चित करा कर सभी विकसित देश आज उन्नत अर्थव्यवस्था की अवस्था को पा सका
है। हालांकि
कई और अनुषंगी कारक भी महत्वपूर्ण रहे हैं। यह वित्तीय समझदारी के महत्व का
रेखांकन मात्र है।
एक अनुमान है कि भारत में कोई बीस करोड़ लोग रोज कमाने और
खाने वाले हैं अर्थात दैनिक कमाई पर गुजर बसर करने वाले हैं। कोई तीस करोड़
लोग के पास मात्र एक माह का ही खर्च क्षमता है। मैं इन आंकड़ों की अधिकारिता (Authenticity) पर ज्यादा निश्चित
नहीं हूं। पर वित्तीय समझदारी की आवश्यकता का क्षेत्र इससे बहुत ज्यादा व्यापक और
महत्त्वपूर्ण है। यह नौकरीपेशा वालों के लिए भी महत्वपूर्ण है, तो यह मज़दूरों और किसानों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। जीवन में इसकी अनिवार्यता के कारण ही इसे बच्चों के स्कूली शिक्षा में
शामिल किए जाने की अनुसंशा हर स्तर पर की गयी है।
वर्तमान में वित्तीय व्यवहार एक मजबूत सांस्कृतिक अवधारणा (Cultural Concept) रुप में
स्थापित है और अचेतन विचार से संचालित है। जीवन के हर स्तर पर दिखावटी संस्कार, कर्मकांड, रीति रिवाज स्थापित है, और इसे धार्मिक और
सांस्कृतिक मान्यता प्राप्त है। यह सब दिखावटी संस्कार, कर्मकाण्ड और पाखंड जीवन में अनावश्यक खर्च किए जाने के लिए बाध्य करता
है। इसके अलावा दिखावा (Show) और फैशन (Fashion) की प्रवृति भी खर्च को बढ़ा देता है। सामान्य प्रचलित अवधारणा के
अनुसार आज सभी (अधिकांश) लोगों में वित्तीय समझदारी का अर्थ यह लिया जाता है, कि खर्च से आय (More
Income than Expenditure) को ज्यादा होना चाहिए। यह पूर्णतया गलत विचार और अवधारणा है। 'खर्च को कम नहीं किया जा सकता और इसीलिए आय
को बढ़ाना ही उचित विकल्प है' - यह एक ग़लत सोच है। इस अवधारणा में कई मौलिक त्रुटियां हैं। सबसे
बड़ी त्रुटि यह है कि खर्च पर नियंत्रण नहीं होना है। और उस बेतहाशा भागते खर्च को
साधने के लिए आय में वृद्धि का होना अनिवार्य हो गया है। इसी अवधारणा के कारण आप
कितना भी कमाते हैं; आप एक से अधिक कमाने वाले हैं; आपके कमाई में वृद्धि भी होता है; फिर भी
समस्या जस का तस रहता है।
ऐसा क्यों होता है? ऐसा इसलिए होता है कि ऐसा सोच हमारी संस्कृति का और हमारे जीवन पद्धति का एक हिस्सा बन गया है। और इसीलिए इस दिशा में सुधार
के लिए कभी सजग और गंभीर प्रयास नहीं किया जाता है। जैसे शारीरिक और मानसिक
स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य की जागरूकता आवश्यक है; उसी तरह वित्तीय
स्वास्थ्य के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। वित्तीय समझदारी को वित्तीय
जागरूकता, वित्तीय मामलों की जानकारी, बचत एवं खर्च की
अभिवृति की समझ, और इससे सम्बन्धित व्यवहार का समझदारी
का समेकित स्वरुप कह सकते हैं। इससे कोई भी उचित वित्तीय निर्णय लेने में और
वित्तीय सुदृढ़ीकरण करने में सक्षम हो पाता है।
इस दिशा में "Organisation for Economic Cooperation and
Development" (OECD) का प्रयास वर्ष 2005 में ही शुरू हुआ।
इसकी अनुसंशा पर विद्यालयों में वित्तीय शिक्षा पर जोर दिए जाने का शुरुआत हुआ।
इसने वर्ष 2008 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग
और विस्तार के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संगठन "International Network on Financial
Education" (INFE) का स्थापना किया। इसके बाद
भारत में वित्तीय समझदारी और बेहतरी के लिए कई प्रयास किए गए। यह अलग बात है कि अपेक्षित परिणाम जो होने
चाहिए, अभी नहीं मिला है। ऐसे प्रयासों के परिणाम से आप
भी बेहतर ढंग से वाकिफ हैं। सरकारी सेवकों के पेंशन योजना में मूलभूत परिवर्तन हो
गया, हालांकि सरकारी सेवकों का हिस्सा पूरी आबादी का दो प्रतिशत से अधिक नहीं है। "The Pension Fund Regulatory and Development Authority
(PFRDA)" की स्थापना जनता के व्यापक जागरूकता के लिए किया गया है। इसी तरह "The Insurance Regulatory and Development
Authority (IRDA)" की स्थापना भी बीमा क्षेत्र में जागरूकता पैदा करने के लिए किया गया है।
आप भारत के जागरूक और प्रबुद्ध नागरिक है और आपको इस संबंध में कितना जानकारी और
जागरूकता है? इससे इस दिशा में किए जाने वाले कार्य और
प्रयास की और उस कार्य की गुणवत्ता का अंदाजा लगा सकते हैं। यह सब ब्योरा यहां
इसलिए दिया गया है, ताकि आप यदि वित्तीय मामलों में कुछ
और ज्यादा जानना चाहते हैं, तो इन संस्थाओं के साइट पर
जाकर और विस्तृत जानकारी पा सकते हैं। इससे इच्छुक लोग इस संबंध में और अपेक्षित
मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। सभी विद्यार्थियों को "National Institute of Securities Markets
(NISM)" के साइट www.nism.ac.in पर देख कर इस सम्बंध में काफी जानकारी प्राप्त करना चाहिए। यह संस्था "The Securities and Exchange Board of India
(SEBI)" द्वारा मान्यता प्राप्त है।
आपको क्या करना है और क्या करना चाहिए? हाल के कोविड लाक डाउन
में आप अपनी इच्छाओं, आकांक्षाओं और भावनाओं को नियंत्रित करना सीख गए हैं। इसे और प्रयास करके अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। इस निर्णय में अपने
पारिवारिक सदस्यों को शामिल कीजिए। मैं वैभवता (Majesty) के
खिलाफ नहीं हूं, परन्तु आप पहले आय
का एक ऐसा निष्क्रिय स्रोत बना लीजिए, जो आपके काम नहीं करने पर भी निश्चित
रुप से आय देता रहे। उस अवस्था को पाने तक
लगातार कुछ बचत कीजिए, कम से कम आय का 10-20 प्रतिशत तो निश्चित रूप में। इसका समुचित निवेश किया जाना भी महत्वपूर्ण
है। मुद्रास्फीति की स्थिति को समझना चाहिए। मुद्रास्फीति (Inflation) वह एक
व्यवस्था है, जो कमाई का एक हिस्सा बिना किसी कानून के
ही समाप्त कर देता है। बैंक में ब्याज दर भी इसी मुद्रा स्फीति के आसपास रहता है। जैसा कि आप जानते हैं - बैंक उस स्थान को कहते हैं, जहां वैसे लोग पैसा जमा
करने जातें हैं जिनके पास उनके सोच से ज्यादा पैसा हो जाता है, और वहां वैसे लोग पैसा लाने (उधार) जाते हैं जिनके सोच से पैसा कम पड़
जाता है। इन्हीं लोगों का मिलन स्थल बैंक कहलाता है। बैंक आपके पैसा को दूसरों को
ऋण देकर ब्याज कमाता है। बैंक में उतना ही पैसा रखा
जाना चाहिए, जितना आपात स्थिति में आवश्यक होता है। बाकी धन का उचित निवेश होना चाहिए।
अब सवाल उठता है कि हम निवेश
कहाँ करें? निवेश वैसे क्षेत्रों
में करें, जहां से लगभग निष्क्रिय आमदनी (Inert
Income) प्राप्त हो, आय विधिसम्मत (Legal) भी हो और सुरक्षित (Secured) भी रहे। निवेश के सभी विकल्पों पर
यहाँ चर्चा नही की जा रही है, उसे दुसरे किसी आलेख में
की जाएगी। स्थायी
सम्पदा (Permanent Estates) भी एक बेहतर निवेश का विकल्प है। पूंजी बाजार (Capital Market) में निवेश भी
एक महत्वपूर्ण और समझदारी भरा विकल्प है, परन्तु एक महत्वपूर्ण बात
ध्यान में रखना है। कम्पनियों
के शेयर खरीद - बेच (Trading) कर धन कमाने को नहीं सोचा जाय, अपितु उसे रखकर
कमाने को सोचा जाय। अर्थात शेयर के ट्रेडिंग से धन नहीं कमा सकते, अपितु
कम्पनियों के लाभांश (Dividend) पर ध्यान रखना चाहिए। इससे आप नीचे गिरते सूचकांक (Index) में भी कमाते रहेंगे। बारेन बफेट कहते हैं कि मैंने अपने
जीवन में ऐसे किसी व्यक्ति को अमीर बनते नहीं देखा, जो
शेयर के खरीद बिक्री (ट्रेडिंग) को ही वित्तीय बाज़ार से कमाई का आधार बनाया हो। इसी तरह बीमा क्षेत्र में भी निवेश को
बीमा से अलग कर दिया जाना चाहिए अर्थात बीमा में टर्म इंश्योरेन्स लेना चाहिए। निवेश में एक समुचित
संतुलन भी रखना चाहिए अर्थात विभिन्न प्रकारों के निवेश का संतुलन होना चाहिए।
वित्तीय समझदारी वित्तीय जागरूकता से और सतत प्रयास से ही
विकसित होता है। जीवन में संकट आते रहते
हैं। इन संकटों को टालने के लिए उचित प्रबंधन और समय पूर्व तैयारी ही समझदारी है। इस दिशा में नई और अलग चिन्तन और विमर्श होना चाहिए।
युवाओं से अनुरोध है कि अपनी भावनाओं और प्रवृतियों को
नियंत्रित करना सीखिए। बचत कीजिए और निवेश बढाईए। परिवार के लिए समय दीजिए।
परिवार और संबंधों में भी समय देना एक निवेश है। परिवार छोड़ धन के पीछे
बेतहाशा दौड़ मत लगाईए। परिवार को शामिल किए बिना वितीय जागरुकता या
समझदारी नही आती या विकसित नही हो सकती। परिवार में विमर्श होना चाहिए औए इसमें
सभी को शामिल होना चाहिए।
(मेरे अन्य आलेख आप www.niranjan2020.blogspot.com पर देख सकते हैं।)
ई० निरंजन सिन्हा,
स्वैच्चिक सेवानिवृत राज्य कर संयुक्त आयुक्त,
बहुत ही उपयोगी जानकारी से भरपूर आलेख। खासकर शेअर मार्केट में खरीद -बिक्री के बजाय स्थाई निवेश तथा टर्म इंश्योरेन्स को प्राथमिकता दिए जाने के सम्बन्ध में। इसी तरह की उपयोगी जानकारी देते रहें। आभार एवं साधुवाद!
जवाब देंहटाएंवित्तीय जागरूकता समय की मांग है। बहुत अच्छा आलेख।
जवाब देंहटाएंनिरंजन जी लेख कुछ ज्यादा ही क्लिष्ट हो गया है. एक सामान्य व्यक्ति अपनी आय में से किन किन मदों पर बचत कर सकता है, इस एंगल से सुझाव दिये जाते तो ज्यादा अच्छा रहता.
जवाब देंहटाएंNice and highly logical aSir.
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